Sunday, November 17, 2024
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ठीके तो है नीतीश कुमार: विकल्पहीनता की आड़ में JDU का नया नारा, अब ‘बिहार में बहार’ नहीं

क्या जदयू बिहार में विकल्पहीनता को भुनाना चाहती है? जदयू मुख्यालय के सामने इस नारे वाले पोस्टर को भी लगाया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने ये नारा गढ़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में 'बिहार में बहार' वाला नारा प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज थी।

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू ने विधानसभा चुनाव 2020 के लिए नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है और इसी क्रम में पार्टी ने नया नारा भी दिया है। आपको पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू का नारा ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है‘ तो याद ही होगा। वहीं अब पार्टी का नया नारा है ‘क्यूँ करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार‘। बिहार में ‘ठीक’ और ‘ठीके’ के बीच बड़ा अंतर है। ‘ठीक’ मतलब अच्छा और ‘ठीके’ मतलब कामचलाऊ। अर्थात, इसे आप विकल्पहीनता भी कह सकते हैं।

क्या जदयू बिहार में विकल्पहीनता को भुनाना चाहती है? जदयू मुख्यालय के सामने इस नारे वाले पोस्टर को भी लगाया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने ये नारा गढ़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में ‘बिहार में बहार’ वाला नारा प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज थी। उस दौरान नीतीश राजद-जदयू-कॉन्ग्रेस महागठबंधन का चेहरा थे और प्रशांत किशोर उनके प्रमुख रणनीतिकार थे।

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने विकल्पहीनता की तरफ़ इशारा किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति है, उससे लगता है कि नीतीश कुमार को ‘ठीक ही है’ कहा जा सकता है। उन्होंने पिछले स्लोगन की याद दिलाते हुए कहा कि बिहार में एके-47 की बहार है और अपराधी जेल में जन्मदिन की पार्टी मना रहे हैं। इस सवाल का उठना तो ज़रूरी है कि क्या अब जेडीयू ने अपने मुखिया नीतीश को अंडरएस्टीमेट करना शुरू कर दिया है?

बिहार भाजपा में सुशिल कुमार मोदी जनाधार वाले नेता नहीं हैं और उन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़े भी काफ़ी वर्ष हो गए। इसी तरह लालू यादव के जेल जाने के बाद राजद के पास भी कोई दमदार चेहरा नहीं बचा है। कॉन्ग्रेस तो पूरे देश की तरह बिहार में भी अस्तित्व से जूझ रही है। रामविलास पासवान राजग का अंग हैं। मुकेश साहनी और जीतन राम माँझी जाति विशेष के नेता बन कर रह गए।

जिस तरह से बिहार में राजधानी पटना की सड़कों पर हत्या हो जा रही है और मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस काण्ड के तार जदयू नेताओं से जुड़े हैं, ऐसा लगता है कि जदयू अपने दामन में लगे दागों को धोने के लिए जनता को यह एहसास दिलाना चाहती है कि उनके पास नीतीश ही एक ठीक विकल्प है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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