संसद के आगामी सत्र में मोदी सरकार नए सिरे से तीन तलाक बिल को पेश करने वाली है। तीन तलाक से जुड़े विधेयक को बुधवार (जून 12, 2019) को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी दी गई थी। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा है की सरकार को उम्मीद है को इस बार राज्य सभा में विपक्ष का समर्थन मिलेगा और इस बिल पर मुहर लग जाएगी। मगर, तीन तलाक के मुद्दे पर एक बार फिर से एनडीए की सहयोगी पार्टी जदयू ने विरोध का ऐलान कर दिया है। जदयू ने अपना विरोध दर्ज करते हुए कहा कि बगैर व्यापक परामर्श के मुस्लिमों पर कोई भी विचार नहीं थोपा जाना चाहिए।
पार्टी तीन तलाक बिल का राज्यसभा में विरोध करेगी https://t.co/WAmyqa8nWm #tripletalaq #JDU
— Webdunia Hindi (@WebduniaHindi) June 14, 2019
जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने शुक्रवार (जून 14, 2019) को बयान जारी कर कहा कि पार्टी अपने पुराने रुख पर कायम है। हमारा देश कानून के सम्मान और विभिन्न धर्मों व पारंपरिक समूहों के सिद्धांतों के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखने पर आधारित है। के सी त्यागी ने कहा कि उनके विचार से सिविल कोड पर विभिन्न धर्म समूहों के बीच और गहराई से विचार-विमर्श करने की जरूरत है। मौजूदा धार्मिक रीतियों जैसे शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना, पैतृक संपत्ति के अधिकार जैसे जटिल व संवेदनशील मुद्दों पर जल्दबाजी में कोई कदम उठाना सही नहीं होगा।
इस बारे में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने भी बयान देते हुए कहा था कि तीन तलाक के मामले में उनकी पार्टी केंद्र सरकार का साथ नहीं देगी। जदयू ने पहले भी इसका विरोध किया था और अभी भी इसका विरोध करती है। ये विरोध आगे भी जारी रहेगा। रजक ने कहा कि मसला चाहे राममंदिर का हो, तीन तलाक का हो या फिर धारा 370 का, पार्टी इसका समर्थन नहीं करती है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने भी पिछले दिनों अपना रुख दोहराते हुए कहा था कि उनका विचार है कि अनुच्छेद 370 समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। इसी तरह, समान नागरिक संहिता किसी के ऊपर नहीं थोपी जानी चाहिए और अयोध्या राम मंदिर का मुद्दा या तो संवाद के जरिए सुलझाया जाए या फिर अदालत के आदेश के जरिए।