सीबीआई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की सज़ा बढ़ाने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। झारखण्ड हाईकोर्ट की एक बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए ख़ुद को इससे अलग कर लिया। मंगलवार (जुलाई 9, 2019) को इस याचिका के आने के बाद जस्टिस केपी देव ने कहा कि वह काउंसल के तौर पर चारा घोटाला मामले में सीबीआई की तरफ से पैरवी कर चुके हैं, इसलिए वह ख़ुद को इस सुनवाई से अलग करते हैं।
इसके बाद जस्टिस केपी देव व जस्टिस अपरेश कुमार की खंडपीठ ने इस याचिका को किसी अन्य पीठ के पास भेजने का निर्देश दिया। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद सहित अन्य पर उच्च-स्तरीय षडयंत्र रचने का आरोप है, ऐसे में सजा भी बड़ी होनी चाहिए। सीबीआई लालू सहित 6 अन्य आरोपितों के लिए 7 वर्ष सश्रम कारावास की माँग कर रही है। लालू यादव पहले से ही चारा घोटाला के अन्य मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद राँची में जेल की हवा खा रहे हैं।
#LaluPrasadYadav is currently serving a jail term in a number of #FodderScam cases in #Ranchihttps://t.co/omTzDLW5gG
— Kalinga TV (@Kalingatv24x7) July 10, 2019
फिलहाल, स्वास्थ्य कारणों से लालू राँची स्थित रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन पर जेल से ही हस्तक्षेप करने के आरोप लगे थे, जिसके बाद उनके वार्ड की गहन तलाशी ली गई थी। चुनाव से पहले उनसे मिलने के लिए विपक्षी नेताओं व राजद से टिकट के दावेदारों की लम्बी लाइन लगी रहती थी। वैसे अभी मीडिया में ऐसी ख़बरें भी चल रही हैं कि लालू की तबियत ज्यादा ख़राब हो गई है।