कर्नाटक में कॉन्ग्रेस पार्टी की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले दिनों कर्नाटक में गठबंधन दल के सभी विधायकों को व्हिप जारी करके बजट सत्र के दौरान विधानसभा में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था।
पार्टी द्वारा व्हिप जारी होने के बावजूद बजट सत्र के पहले ही दिन कॉन्ग्रेस पार्टी के नौ विधायक विधान सभा में अनुस्थित रहे। इन नौ विधायकों में कॉन्ग्रेस पार्टी के वे चार विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने 18 जनवरी को कॉन्ग्रेस पार्टी के विधायकों की मीटिंग से दूरी बनाई था।
इन चार विधायकों में रमेश जरकिहोली, महेश कुमतल्ली, उमेश जाधव और नागेन्द्र ने सत्र की पहले दिन कार्यवाही में भाग नहीं लिया। हालाँकि, इन चारों विधायकों ने सत्र में हिस्सा नहीं लेने की कोई भी वजह नहीं बताई है।
जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायकों को एक दूसरा नोटिस दिया है। पहला नोटिस जनवरी के आखिरी सप्ताह में, जबकि दूसरा नोटिस बीते सोमवार को दिया है।
पिछले दिनों 13 विधायकों के समर्थन वापस लेने की आई थी ख़बर
पिछले दिनों ज़ी न्यूज़ ने अपने एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया था कि कर्नाटक की सियासत में एक बड़ा परिवर्तन आने की सुगबुगाहट है। कुछ दिन पहले कुमारस्वामी ने ख़ुद काम के अत्यधिक बोझ का हवाला दिया था और कहा था, “गठबन्धन की मजबूरी की वज़ह से क्लर्क बन गया हूँ।” शायद अब उनका बोझ हल्का होने वाला हो।
रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्ग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायक बीजेपी के संपर्क में थे। बीजेपी की कोशिश थी कि जल्दी ही ये 13 विधायक इस्तीफ़ा दे दें। मीडिया में ख़बर यह भी थी कि अगर सब कुछ सही रहा तो बीजेपी कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती थी। हालाँकि, काँग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त का आरोप लगाया था। उधर, बीजेपी ने भी काँग्रेस पर पलटवार करते हुए इससे इनकार किया था। लेकिन अब एक बार फिर से विधान सभा में बजट सत्र के दौरान नौ विधायकों की अनुपस्थिति से प्रदेश की राजनीति में सियासत गर्म होना स्वाभाविक है।