अपने घरों से दरबदर कश्मीरी हिन्दुओं को कम-से-कम अब अपने राज्य और लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में भागीदारी का मौका बिना जान खतरे में डाले मिलेगा। चुनाव आयोग ने अपने घरों से तीस साल से निर्वासित कश्मीरी पण्डितों के लिए विशेष चुनावी बूथों का प्रबंध किया है। यह बूथ उनके निवास के लोकसभा क्षेत्रों में ही खोले जाएँगे।
केन्द्रीय चुनाव आयोग ने इसके अलावा उन्हें डाक के जरिए मतपत्र (पोस्टल बैलट) भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
असिस्टेंट रिटर्निंग अफसर (प्रवासी) अनिरुद्ध राय के अनुसार इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए इच्छुक व्यक्तियों को फॉर्म-एम/फॉर्म-12सी (form-M/form-12C) भरना होगा।
घर पर क्यों वोट नहीं डाल सकते
कश्मीरी हिन्दू घर जाकर अपने विधानसभा क्षेत्रों में वोट इसलिए नहीं दे सकते क्योंकि कश्मीर घाटी में इस्लामी चरमपंथ और हिंसा पूरे जोरों-शोरों से जारी है- 1947 में भारत के आजाद होने के समय से ही। और कश्मीर की राजनीतिक ‘आजादी’ की आड़ में घाटी से हिन्दुओं का सफाया ही इनका मकसद है। इसका सबसे वीभत्स रूप तब देखने को मिला जब 1989 में यासीन मलिक के नेतृत्व में जेकेएलएफ नामक आतंकवादी दस्ते ने हिन्दुओं का कत्ले-आम और बलात्कार शुरू कर दिया, और उनके पास जिन्दा बचने के लिए केवल दो सूरतें दीं- या तो वे इस्लाम अपनाएँ, या घाटी छोड़ दें। लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को गिरते-पड़ते, घरबार आदि छोड़कर जान बचाकर भागना पड़ा।
महत्त्वपूर्ण है क्योंकि…
इस कदम को महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसके पूर्व पोस्टल बैलेट की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। कश्मीरी हिन्दुओं को मतदान के लिए दिल्ली या जम्मू तक की यात्रा करनी पड़ती थी। कईयों के यह यात्रा न कर पाने के कारण चुनावी गणित में हिन्दुओं का पलड़ा हल्का पड़ता था, और इस्लामी कट्टरता को हवा देने वालों के लिए चुनाव जीतना आसान हो जाता था।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी के पास 20 साल से ज्यादा समय से पंजीकरण कराए कश्मीरी पण्डित सालों से अपनी चुनावी भागीदारी आसान करने की माँग कर रहे थे। कश्मीरी हिन्दुओं का एक प्रतिनिधि मण्डल कुछ ही दिन पूर्व चुनाव आयोग से मिला और अपनी माँग रखी, जिस पर यह फैसला हुआ है।
अब उम्मीद की जा सकती है कि घाटी और बाकी देश, दोनों ही जगह पर मताधिकार से वंचित होने के कारण नजरअंदाज कश्मीरी हिन्दुओं की समस्याओं को राजनीतिक दल गंभीरता पूर्वक लेंगे।
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव 5 चरणों में होंगे- 11, 18, 23, 29 अप्रैल, और 6 मई को। चुनाव आयोग ने मतगणना 23 मई को कराने की भी घोषणा की है।