तमिलनाडु में कॉन्ग्रेस प्रवक्ता खुशबू सुंदर (Khushbu Sundar) ने आज (अक्टूबर 12, 2020) अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे पार्टी के बर्ताव को मुख्य कारण बताया। सोनिया गाँधी को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि वे पार्टी से उस समय जुड़ी जब कॉन्ग्रेस चुनाव हार गई थी। उनके अपने अनुभव कहते हैं कि पार्टी में कुछ ऐसे तत्व हैं जिनका ग्राउंड लेवल पर कोई जुड़ाव नहीं है।
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मामले पर अपनी पार्टी का विरोध कर केंद्र सरकार का समर्थन करने वाली खुशबू ने जुलाई में इस बात को स्पष्ट किया था कि उनके समर्थन को ये न समझा जाए कि वह भाजपा से जुड़ रही है। हालाँकि, आज जैसे ही उन्होंने अपना इस्तीफा कॉन्ग्रेस पार्टी से दिया, कुछ घंटों बाद खबर आई कि उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया है।
खुशबू सुंदर ने आज भले ही भाजपा से जुड़ते वक्त कहा हो कि वह पार्टी के नेतृत्व से प्रभावित हुई हैं। मगर उनके कुछ शब्द ऐसे हैं जो शायद कोई भी भाजपा समर्थक भूल पाए। उनके कुछ पुराने ट्विट्स हम आपके सामने रख रहे हैं, जो साबित करते हैं कि पार्टी से जुड़ने के बाद उन्होंने खुद उन्हीं विशेषणों के साथ जोड़ लिया है जिनका उपयोग अतीत में वह भाजपा सदस्यों के लिए करती थीं। जैसे- गंदे, गँवार, अनपढ़, डेड ब्रेन, धार्मिक कट्टरपंथी, बंदर आदि।
14 अक्टूबर 2017- खुशबू सुंदर ने अपने ट्वीट में संघ समर्थकों को गवार, गंदा, घटिया दिमाग, अपमानजनक कहा था। सुंदर का आरोप था कि भाजपा के लोग सिर्फ़ ट्रोल करने के लिए जीते हैं।
उल्लेखनीय है कि आरएसएस एक राष्ट्र स्वयं सेवक संघ है और कई मामलों पर भाजपा की राय और आरएसएस की राय एक दूसरे से मिलती है। भाजपा के कई नेता भी आरएसएस समर्थक रहे हैं। इस संगठन का संबंध सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है जिसे भाजपा भी मानती है।
25 सितंबर 2019- खुशबू ने संघ और भाजपा समर्थकों को मूर्ख व बेवकूफ और ‘फिजिकली रिटार्डेड’ भी कहा। 5 अक्टूबर को उन्होंने संघ से जुड़े लोगों को बंदर कहा और लिखा, “संघी बंदरों की तरह बर्ताव कर रहे हैं बिना 6th सेंस के।”
28 फरवरी को खुशबू सुंदर ने खुद के लिए ‘नखत खान’ नाम सुन कर भाजपा समर्थकों को धार्मिक कट्टरपंथी कहा था, जबकि हकीकत में उनका बचपन का नाम नखत खान ही था। वह एक मुस्लिम परिवार में जन्मी थीं और उन्होंने एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर सुंदर सी से साल 2000 में शादी की थी।
मात्र पाँच दिन पहले की यदि बात करें तो उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा कि जो लोग अपने आप को संघी घोषित कर चुके हैं उन्हें किसानों की परेशानियों की ओर देखना बंद कर देना चाहिए। यहाँ खुशबू किसान बिल को लेकर अपना ट्वीट कर रही थीं।
यहाँ ज्ञात रहे कि वामपंथियों द्वारा संघी शब्द का प्रयोग बेहद अपमानजनक तरीके से किया जाता है। कॉन्ग्रेसियों और वामपंथियों द्वारा विशेषत: इस शब्द का प्रयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति पीएम मोदी का समर्थन करे। इसलिए यह सब केवल खुशबू जैसे लोगों के पाखंडी रवैये की ओर इशारा करता है।
आज खुशबु सुंदर ने भले ही पार्टी से जुड़ना चुना है और निश्चित ही अब वह पार्टी की विचारधारा के साथ होने का ढोंग भी करेंगी, लेकिन यह सच कभी नहीं बदलेगा कि उन्होंने अपनी राजनैतिक पैठ संघ से जुड़े लोगों को गालियाँ देकर बनाई है।