प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (11 मई, 2024) को ओडिशा के कंधमाल, बलांगिर और बरगढ़ में जनसभाओं को संबोधित किया। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के क्रम में उन्होंने 1 दिन पहले ही राजधानी भुवनेश्वर में भी रोडशो किया था। कंधमाल में पीएम मोदी ने इस दौरान एक बुजुर्ग महिला का पाँव छू कर उनका आशीर्वाद लिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। ओडिशा की उक्त बुजुर्ग महिला का नाम पूर्णमासी जानी है, जिन्हें लोग ताड़िसरू बाई कह कर पुकारते हैं।
पूर्णमासी जानी उर्फ़ ताड़िसरू बाई को 2021 में मोदी सरकार ने ही कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। उन्होंने कुई, उड़िया और संस्कृत व अन्य भाषाओं में 1 लाख भक्ति गीतों व अन्य कविताओं की रचना की है। वो 80 वर्ष की हो चली हैं। पूर्णमासी जानी कभी जीवन में स्कूल नहीं गईं, लेकिन उन पर माँ सरस्वती का हमेशा आशीर्वाद रहा। उन्होंने आज तक अपनी किसी कविता या गीत को दोहराया नहीं है।
उनका जन्म कंधमाल के खजुरीपाड़ा प्रखंड के चारिपाड़ा गाँव में हुआ था। मात्र 10 वर्ष की उम्र में उनका बाल-विवाह कर दिया गया था। उनके 6 बच्चे हुए लेकिन उनमें से एक भी जीवित नहीं रह पाया। जीवन में आई इस आपदा के बाद उन्होंने भक्ति व अध्यात्म का रास्ता चुना। वो तपस्या के लिए ताड़िसारू पहाड़ी पर कुछ संतों के साथ जीवन व्यतीत करने लगीं। इसके बाद गाँव लौट कर उन्होंने कविताओं और गीतों के माध्यम से भक्ति व अध्यात्म का सन्देश देना शुरू किया।
इसी कारण सम्मान से लोग उन्हें ‘ताड़िसरू बाई’ कहने लगे। वो सामान्यतः मौन व्रत का पालन करती हैं, फिर ध्यान करती हैं और इसी दौरान वो भक्ति गीत गाती हैं। गाँव वाले उन्हें ईश्वर का अंश मानते हैं। वो साल के पत्तों की सिलाई कर के अपना जीवन-यापन करती हैं। 1990 में उस क्षेत्र में गए कुछ लेखकों का ध्यान उनकी कविताओं के प्रति आकर्षित हुआ। फिर उन्होंने इसे एक दस्तावेज के रूप में समेटने का प्रयास शुरू किया। आज की तारीख़ में उनकी 5000 से अधिक कविताएँ/गीत साहित्यकारों और साहित्यिक सोसाइटियों द्वारा रिकॉर्ड किए गए हैं।
डॉक्टर सुरेन्द्रनाथ मोहंती ने उनकी जीवनी भी लिखी है। शिक्षक दुर्योधन प्रधान ने उनके गीतों को एक जगह सहेजा। कटक स्थित रेवेनशॉ विश्वविद्यालय के छात्रों समेत कइयों ने उनके जीवन और उनकी रचनाओं पर Ph.D भी कर रखी है। पीएम मोदी ने कंधमाल में मंच से कहा कि पूर्णमासी जानी, जो ‘कबीर’ के रूप में जानी जाती हैं, ओडिशा में जो ग्रामीण भाषा है, जो जनजातीय समाज की भाषा है, उस पर वो कविताएँ बनाती हैं, साहित्य को उन्होंने पचाया है।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi felicitates Padma Shri awardee Purnamasi Jani & seeks blessings by teaching her feet, during his public meeting in Odisha's Kandhamal. pic.twitter.com/sWjRAt69Jz
— ANI (@ANI) May 11, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने और और शॉल ओढ़ा कर उन्हें सम्मान देने को अपना सौभाग्य बताया। पीएम मोदी ने कहा कि वो उन्हें अपने पाँव नहीं छूने देती थीं, बड़ी मुश्किल से उन्होंने उनके रोकने के बावजूद उनके पैर छुए। पीएम मोदी ने उन्हें मातृशक्ति का साक्षात रूप करार दिया। इस दौरान पीएम मोदी तुला बेहरा से भी मिलें, जिन्होंने भिक्षा माँग कर भगवान जगन्नाथ को 1 लाख रुपए का दान दिया। जब पीएम मोदी ने उनसे पूछा कि उन्हें कुछ ज़रूरत भी है क्या, तो उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद चाहिए।