वाराणसी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की तरफ से पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतारे गए बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, सोमवार को सपा की तरफ से दाखिल किए गए एक नामांकन पत्र की जाँच करते हुए निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक ने नोटिस जारी करते हुए तेज बहादुर से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र माँगा है।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने जा रहे तेज बहादुर यादव को चुनाव आयोग ने थमाया नोटिस#LokSabhaElections2019 https://t.co/2jnYBS3Aoe
— आज तक (@aajtak) April 30, 2019
आयोग की ओर से जारी किए गए नोटिस में तेज बहादुर को निर्देश दिए गए हैं कि वह बीएसएफ से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आएँ, जिसमें यह स्पष्ट हो कि उन्हें नौकरी से किस वजह से बर्खास्त किया गया। निर्वाचन आयोग ने इस प्रमाण पत्र को जमा करने के लिए बुधवार (मई 1, 2019) को दोपहर 11 बजे तक का वक्त दिया है। अगर तेज बहादुर समय रहते अनापत्ति पत्र जमा नहीं कर पाते हैं, तो उनका नामांकन खारिज हो सकता है।
वहीं, इससे पहले तेज बहादुर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में जो पर्चा भरा था उसमें प्रस्तावकों के नाम को लेकर गड़बड़ियाँ पायी गई थी, जिसकी वजह से उसे रद्द कर दिया गया है।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने इसे बीजेपी की साजिश करार देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती कि तेज बहादुर यादव नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरें। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि भाजपा के इशारे पर पर्यवेक्षक ने 24 घंटे के भीतर बीएसएफ में भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्तगी को लेकर अनापत्ति प्रमाणपत्र माँगा है और राजनीतिक साजिश के कारण ही ऐसा जान-बूझकर किया गया है। हालाँकि, अभी तक जिला प्रशासन की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है।
बता दें कि,पहले समाजवादी पार्टी ने वाराणसी लोकसभा सीट से शालिनी यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में पार्टी ने बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को अपना कैंडिडेट बताते हुए पार्टी नेताओं के माध्यम से उनका भी नामांकन करा दिया। मगर तेज बहादुर यादव के चुनाव लड़ने पर अभी भी संशय बरकरार है।
गौरतलब है कि तेजबहादुर यादव ने बीएसएफ में खाने को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने वहाँ दिए जाने वाले भोजन को लेकर वीडियो बनाया था और उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया था। उनके ख़िलाफ़ 2 मोबाइल फोन लेकर ऑपरेशनल ड्यूटी पर जाने और भोजन की गुणवत्ता को लेकर ग़लत अफवाह फैलाने का मामला साबित हुआ था, जिसके बाद बीएसएफ ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तेज बहादुर यादव को बर्खास्त कर दिया था।