मध्य प्रदेश उपचुनावों के बाद बसपा के विवादित विधायक रामबाई फिलहाल कुछ समय के लिए राजनीति से दूर रहने का फैसला करते हुए राज्य ओपन बोर्ड के माध्यम से कक्षा 10 की परीक्षा दे रही हैं।
रामबाई का राजनीतिक करियर बेहद दिलचस्प और विवादित रहा है। इसी वर्ष मार्च के माह कमलनाथ सरकार पर संकट के दौरान कथित तौर पर कॉन्ग्रेसी नेता उन्हें गुरुग्राम के एक होटल से छुड़ाकर ले गए थे। गौरतलब है कि रामबाई अक्सर मंत्री पद की माँग करती रही हैं और उन्हें पहले कॉन्ग्रेस और फिर भाजपा सरकार में मंत्री पद की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ऐसे में अब रामबाई का पूरा ध्यान आजकल अपनी शैक्षणिक योग्यता सुधारने पर है और इस काम में उनका सहयोग कर रही हैं उन्हीं की बेटी मेघा। बसपा विधायक की बेटी मेघा परिहार दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास ऑनर्स की छात्रा हैं। रामबाई अब तक कक्षा 10 की तीन परीक्षाएँ दे चुकी हैं। रामबाई ने यह जानकारी समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ को देते हुए कहा कि वो आजकल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
विधायक रामबाई ने कहा कि उनके गाँव में कोई स्कूल न होने के कारण वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थीं। उन्होंने कहा कि लंबी दूरी तय करने के बाद स्कूल जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती थी जिस वजह से उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। विधायक रामबाई आठवीं पास हैं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने विधानसभा चुनाव के नामंकन भरने के शपथ पत्र में दी थी।
उल्लेखनीय है कि रामबाई वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा की टिकट पर पथरिया विधानसभा सीट से विधानसभा पहुँची हैं। इससे पहले रामबाई अपने एक विवादस्पद बयान को लेकर चर्चा में आईं थीं। दरअसल उस समय विधायक ने कह दिया था कि वह सभी मंत्रियों की बाप हैं।
जनवरी 2019 में लगातार हंगामे के बावजूद मंत्री पद नहीं मिलने के कारण, मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक, रामबाई ने कहा था कि वह सभी मंत्रियों से ऊपर हैं क्योंकि वह मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाले राज्य (तब) में कॉन्ग्रेस सरकार की ‘किंगमेकर’ थीं।
इस पर निराशा में बसपा विधायक ने कहा था, “”हम बन जाएँ, तो काम करेगे, नहीं बने तो भी सही काम करेंगे.. हम मंत्रियो के बाप हैं, हमने ही सरकार बनाई है।”
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष दिसंबर माह में ही, नागरिकता कानून का समर्थन करने के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा विधायक रमाबाई परिहार को पार्टी से निलंबित भी कर दिया गया और उन पर पार्टी कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक लगा दी गई थी। परिहार ने नागरिकता कानून का समर्थन करते हुए इसे अच्छा कानून बताया था, जिसे मायावती द्वारा अनुशासनहीनता ठहरा दिया गया।