Sunday, November 17, 2024
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‘मामाजी’ आसानी से विश्‍वासमत हासिल करने के बाद कोरोना से प्रदेश को बचाने के लिए हुए सक्रिय

मध्य प्रदेश में 15 महीने की सरकार चलाने के बाद 20 मार्च को कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ही 23 मार्च राज 9 बजे शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इसके बाद उन्होंने तत्काल कोरोना वायरस से निपटने के लिए भोपाल और जबलपुर में कर्फ्यू लगाने के‌ निर्देश दिए थे।

मध्य प्रदेश की सत्ता हासिल करने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बड़ी ही आसानी से विश्वासमत हासिल कर लिया। गौर करने वाली बात यह कि विपक्षी पार्टी सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने भी विश्वासमत के पक्ष में अपना वोट दिया। इसी के साथ शिवराज सिंह चौहान फ्लोर टेस्ट में पास हो गए।

दरअसल, सोमवार रात 9 बजे सीएम पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 24 मार्च सुबह को ही विधानसभा सत्र बुला लिया और सदन की कार्यवाही शुरु होते ही शिवराज सिंह ने बहुमत का प्रस्ताव पेश कर दिया। बहुमत का प्रस्ताव पेश होते ही मुख्य विपक्षी दल कॉन्ग्रेस ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया और कॉन्ग्रेस के किसी भी विधायक ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। वहीं बसपा विधायक रामबाई और संजीव सिंह, सपा के विधायक राजेश शुक्ला के साथ निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और विक्रम राणा भी सदन में मौजूद रहे। इतना ही नहीं इन सभी विधायकों ने बीजेपी को अपना समर्थन दिया। इसी के साथ बीजेपी को कुल 112 विधायकों का समर्थन मिला और मुख्यमंत्री ने अपना बहुमत साबित कर दिया।

दरअसल, इस प्रस्ताव का सदन में मौजूद सभी 107 बीजेपी विधायकों के अलावा 2 निर्दलीय, बीएसपी और एक एसपी के विधायक ने समर्थन किया। बहुमत प्रस्ताव पारित कराने के लिए सदन में आसंदी पर मौजूद सभापति जगदीश देवड़ा ने मतदान की औपचारिकता पूरी करवाई। इस दौरान हुए मतदान में विश्वास मत को ध्वनिमत के जरिए सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। गौर करने वाली बात यह कि इस दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी का एक भी विधायक सदन में मौजूद नहीं था। यही कारण था कि शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बिना किसी विरोध के आसानी से विश्‍वासमत हासिल कर लिया था।

वहीं आपको बता दें कि सत्र से पहले सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने कॉन्ग्रेस का समर्थन करने की बात कही थी। इसके बावजूद सपा के विधायक ने शिवराज के समर्थन में वोट किया। हालाँकि, सदन में अपने संबोधन के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्यपाल ने सरकार को पंद्रह दिनों के अंदर सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, इसलिए वे विश्वास मत पेश कर रहे हैं। शिवराज ने कहा कि उनकी सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता मौजूदा हालात में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकना है। इसके बाद सभापति जगदीश देवड़ा ने सदन की कार्यवाही 27 मार्च शुक्रवार को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 15 महीने की सरकार चलाने के बाद 20 मार्च को कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ही 23 मार्च राज 9 बजे शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इसके बाद उन्होंने तत्काल कोरोना वायरस से निपटने के लिए भोपाल और जबलपुर में कर्फ्यू लगाने के‌ निर्देश दिए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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