अपनी हालिया ‘सेक्युलर’ और ‘लिबरल’ छवि को आगे ले जाते हुए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने ‘अज़ान पाठ प्रतियोगिता’ का आयोजन करने का फैसला किया है। इसकी घोषणा शिवसेना दक्षिण मुंबई डिवीजन के प्रमुख पांडुरंग सकपाल ने की।
अपने इस फैसले का बचाव करते हुए शिवसेना डिवीजन प्रमुख पांडुरंग सकपाल ने कहा कि भगवद गीता पाठ प्रतियोगिता की तरह ही अजान पाठ प्रतियोगिता होगी। मुस्लिम बच्चों को अज़ान पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। आलोचकों ने राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों को साधने का प्रयास बताते हुए इसके लिए शिवसेना की निंदा की है।
अज़ान पाठ प्रतियोगिता आयोजित करने का विचार उनके दिमाग में कैसे आया, इस बारे में बात करते हुए सकपाल ने कहा, “मैं मरीन लाइन्स में बड़ा कब्रिस्तान के बगल में रहता हूँ। यही कारण है कि मुझे हर दिन अजान सुनने को मिलती है। मैंने अजान को अद्भुत और मनभावन पाया है। जो भी इसे एक बार सुनता है, वह अजान के अगले शेड्यूल का बेसब्री से इंतजार करता है। यही कारण है कि मेरे मन में मुस्लिम समुदाय के बच्चों के लिए अज़ान प्रतियोगिता आयोजित करने का विचार आया।”
अज़ान पाठ प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करेगी शिवसेना: सकपाल
सकपाल ने यह भी कहा कि बच्चों को उनके उच्चारण, ध्वनि मॉड्यूलेशन और गायन के आधार पर पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुरस्कारों पर होने वाले खर्च का वहन शिवसेना करेगी। सकपाल ने कहा, “मुस्लिम समुदाय के बच्चे अजान का शानदार पाठ करते हैं। इस प्रतियोगिता को रखने का उद्देश्य प्रतिभाशाली कलाकारों के लिए एक मंच प्रदान करना है। मुझे नहीं लगता कि इस तरह की प्रतियोगिता पूरे देश में हुई है। यह पहला प्रयोग है और हमें उम्मीद है कि इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।”
सकपाल ने प्रतियोगिता पर सवाल उठाने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को अनदेखा किया जाना चाहिए और अज़ान की तुलना महाआरती से करनी चाहिए। अंजान केवल 5 मिनट का होता है। इसलिए, अगर किसी को इन कुछ मिनटों से परेशानी होती है तो उन्हें अनदेखा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अजान की परंपरा कई सदियों पुरानी है। यह कोई हाल की चीज नहीं है। इस तरह के विरोध को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। महाआरती जितनी महत्वपूर्ण ही अज़ान है। यह प्यार और शांति का प्रतीक है।