महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की मौजूदगी में शिवसेना से एनसीपी में शामिल होने वाले पारनेर के पाँच पार्षदों ने स्पष्ट तौर पर धमकी दी है कि अगर उन्हें शिवसेना में वापस जाने के लिए कहा गया तो वो इस्तीफे दे देंगे।
मंगलवार (जुलाई 7, 2020) को एनसीपी कार्यालय में उपस्थित पार्षदों ने टाइम्स नाउ से बातचीत में कहा कि उन्होंने स्थानीय नेतृत्व में विश्वास खो दिया है।
डॉ मुदस्सर सैय्यद ने कहा, “हम उद्धव ठाकरे या शिवसेना पार्टी से नाराज नहीं हैं बल्कि हम स्थानीय नेतृत्व से नाराज हैं। वर्तमान विधायक नीलेश लांके भी पहले शिवसेना के साथ थे, उन्होंने भी स्थानीय नेतृत्व के कारण पद छोड़ दिया और अब एनसीपी के साथ हैं। यदि एनसीपी हमें वापस जाने के लिए कहती है, तो हम इस्तीफा दे देंगे और एनसीपी की सदस्यता आम लोगों की तरह माँगेंगे, लेकिन हम शिवसेना में नहीं लौटेंगे।”
एक अन्य नगरसेवक नंदकुमार देशमुख का कहना है कि उन्हें पारनेर में पानी के मुद्दों को लेकर कुछ काम करने की उम्मीद थी।
उन्होंने कहा, “मैं इस उम्मीद में शिवसेना में शामिल हुआ था कि तत्कालीन स्थानीय विधायक (शिवसेना के विजय औटी) हमें जनता के लिए कुछ काम करने में मदद करेंगे। मगर न उन्होंने कुछ किया, और न ही हमें करने दिया। वह हमसे केवल उन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की अपेक्षा करते थे जो उन्होंने तैयार किए थे। लोग हमसे पूछते थे कि पानी की समस्या का कोई समाधान क्यों नहीं है, जबकि हमारे शहर के आसपास के अन्य सभी स्थानीय निकाय इसका समाधान करने में सफल रहे हैं।”
गौरतलब है कि शिवसेना के 5 पार्षदों द्वारा NCP ज्वाइन करने को लेकर नाराज CM उद्धव ठाकरे ने डिप्टी सीएम अजित पवार को संदेश दिया है। उद्धव की तरफ से कहा गया है कि NCP ज्वाइन करने वाले सभी पार्षदों को वापस भेजा जाए। ये संदेश मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पर्सनल सेक्रेटरी मिलिंद नारवेकर ने डिप्टी सीएम अजित पवार को फोन के जरिए दिया है।
उल्लेखनीय है कि पुणे जिले के बारामती में परमार से शिवसेना के पाँच पार्षद डिप्टी सीएम अजीत पवार की उपस्थिति में एनसीपी में शामिल हो गए थे। बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे इन प्रकरण को लेकर काफी नाराज हैं।
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार में अनबन की खबरें पिछले साल सरकार बनने के बाद से अक्सर चर्चा में रही हैं। राज्य में शिवसेना, एनसीपी, कॉग्रेस की महागठबंधन की सरकार है, लेकिन राज्य में ज़िला स्तर पर कई जगहों पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं हो रहा, जिससे सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या राज्य की महागठबंधन की ठाकरे सरकार में सब ठीक चल रहा है?
ताज़ा उदाहरण अहमदनगर के पारनेर नगरपाचंयत का है, जहाँ शिवसेना, एनसीपी ने मिलकर सत्ता हासिल की थी, लेकिन अब अगले चुनाव से पहले शिवसेना के पाँच पार्षदों ने एनसीपी में प्रवेश किया, जिससे पारनेर में शिवसेना की ताक़त कम होकर एनसीपी का वर्चस्व बना है। एनसीपी में शामिल होने वाले पार्षदों के नाम हैं- डॉ मुदस्सिर सैयद, नंदकुमार देशमुख, किसान गंधडे, वैशाली औटी और नंदा देशमान। इनके अलावा, शिवसेना के कुछ पदाधिकारियों ने भी एनसीपी का दामन थामा है।
हाल ही में मुंबई में हुए डीसीपी के ट्रांसफर से एनसीपी नाराज़ नज़र आई। कहा गया कि जब गृह मंत्रालय उनके खेमे में है तो फिर यह निर्णय उनसे पूछकर क्यों नहीं लिया गया, लिहाज़ा इस निर्णय को वापस लिया गया। हालाँकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने किसी भी तरह की अनबन की खबरों से इनकार किया।
राज्य में तीन पार्टियों के गठबंधन की सरकार है, तीनों पार्टियों का सत्ता के लिए मिलन तो हो गया, लेकिन क्या तीनों पार्टियों के विचारधारा का मिलन हो सका है। इससे पहले कॉन्ग्रेस के नेताओं ने खुलकर सरकार में अपनी हिस्सेदारी को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की थी।