महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में NDA गठबंधन (महायुती) ने बड़ी जीत हासिल की है। इस चुनाव में उतरे उसके सभी उम्मीदवार जीत गए हैं। INDI गठबंधन को इन चुनावों में एक सीट पर हार झेलनी पड़ी है। INDI गठबंधन के कुछ विधायकों के सत्ता पक्ष के लिए वोट करने की भी सूचना है।
गुरुवार (12 जुलाई, 2024) को आयोजित इन चुनावों में भाजपा महायुती ने 11 में से 9 सीटें हासिल की। उसने इन चुनावों के लिए 9 उम्मीदवार ही उतारे थे। इस प्रकार उसके सभी उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई। इन 9 में 5 पर भाजपा जबकि 2 पर NCP (अजित पवार) और 2 पर शिवसेना (शिंदे) को जीत हासिल हुई।
दूसरी तरफ INDI गठबंधन की तरफ से कॉन्ग्रेस, शिवसेना UBT और PWP पार्टी ने अपना एक-एक उमीदवार उतारा था। इनमें से PWP के उम्मीदवार जयंत पाटील को शरद पवार की NCP का समर्थन हासिल था। वोटों की गिनती के बाद शिवसेना और कॉन्ग्रेस उम्मीदवार जीत हासिल कर सके जबकि जयंत पाटील को हार का मुंह देखना पड़ा।
महायुती में भाजपा की तरफ से पंकजा मुंडे, परिणय फुल्के, अमित गोरखे, योगेश तिलेखर और सदाभाव खोत ने जीत हासिल की। वहीं NCP (अजित पवार) के राजेश विटेकर और शिवाजीराव गरजे भी जीत हासिल करने में सफल रहे। इसके अलावा शिवसेना की भावना गवली और कृपाल तमाने ने भी जीत हासिल की।
कॉन्ग्रेस की तरफ से प्रद्न्य साटव जबकि शिवसेना (UBT) की तरफ से मिलिंद नार्वेकर भी जीत गए। इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग की भी सूचना है। बताया गया कि INDI गठबंधन में शामिल कॉन्ग्रेस के 7 विधायकों ने महायुती को वोट दिया है।
इस चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 23 विधायकों का वोट चाहिए था। महायुती की तरफ से उतारे गए उम्मीदवारों में से अधिकांश को 23 से अधिक वोट मिले। कुछ उम्मीदवारों को 26 तो कुछ को 24 वोट मिले। इस प्रकार उन्हें जीतने में कोई परेशानी नहीं हुई।
वहीं दूसरी तरफ INDI गठबंधन के उम्मीदवारों को कुल मिलाकर 59 वोट मिले। इन तीनों पार्टियों के पास इस चुनाव में 66 वोट थे, इस प्रकार इनका 7 वोट का नुकसान दिखा। इसी कारण से जयंत पाटील की हार भी हुई, वह 23 की जगह केवल 12 वोट पा सके। उन्हें इस गठबंधन ने इस उम्मीद में उतारा था कि अजित पवार की NCP के कुछ विधायकों का समर्थन मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुए इन विधानपरिषद के इन चुनावों से महायुती को बढ़त मिली है। इन चुनावों से उसकी लोकसभा चुनावों में हुई बड़ी हार का असर भी कम होते हुए दिख रहा है। ऐसे में अब देखना होगा कि आगे विधानसभा चुनावों क्या माहौल रहता है।