संदेशखाली में हिंदू महिलाओं की आपबीती सुन देश सन्न है। लेकिन बंगाल मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी अपने पार्टी नेताओं से सवाल तक नहीं कर रहीं। उलटा वह उन्हें क्लीनचिट दे रही हैं और इसके लिए भाजपा-आरएसएस को जिम्मेदार बता रही हैं। उन्होंने संदेशखाली को आरएसएस बंकर कहा है। साथ ही अपने नेता शाहजहाँ शेख का बचाव करते हुए ये कहा कि जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के जो इल्जाम सामने आए हैं वो महिलाओं ने दबाव में दिए।
ऐसा पहली बार नहीं है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस की सुप्रीमो किसी ऐसे शख्स का बचाव कर रही हों जिसपर हिंदू विरोधी घटनाओं में शामिल होने का इल्जाम हो। बीते समय में भी वह कई हिंदू विरोधी नेताओं का पक्ष ले चुकी हैं। इसके अलावा एक बार तो उन्होंने पाकिस्तान के जन्मे हिंदू विरोधी नेता को राज्यसभा तक पहुँचा दिया था। उस नेता का नाम अहमद हसन इमरान था।
आतंकी संगठनों से लिंक से लेकर हिंदू विरोधी हिंसा में था अहमद हसन का नाम
अहमद हसन इमरान का जन्म कथित तौर पर पूर्वी पाकिस्तान के सिलहट के श्रीहट्टा के एक गाँव में हुआ था और वह बांग्लादेश के बनने से पहले 1970-71 में पूर्वी पाकिस्तान से भारत में आया था। इमरान ने पश्चिम बंगाल में ‘कलाम’ नाम की एक बंगाली पत्रिका में कार्यकारी संपादक के रूप में काम किया।
हालाँकि, बाद में उसने पत्रिका को शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन को बेच दिया। इसके अलावा इमरान ने बांग्लादेशी दैनिक नया दिगंता के लिए भारत संवाददाता के रूप में भी काम किया था। आज नया दिगंता जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश का मुखपत्र है।
A PAKISTANI and Founder of SIMI was Mamata Banerjee's choice for member of RAJYA SABHA.
— Devdutta Maji (President of SinghaBahini). (@MajiDevDutta) February 15, 2024
Why are we so surprised with Jihadi elements like Sheikh Shahjahan being so much influential in TMC, DONT WE REMEMBER MAMATA'S blue eyed leader AHMED HASSAN IMRAN.
She made Ahmed Hassan Imran… pic.twitter.com/MmTJ2kVqLp
अहमद हसन इमरान के बारे में खुफिया एजेंसियों की जाँच कहती हैं कि उसके पाकिस्तान की ISI से संबंध थे। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में (अब) प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का संस्थापक सदस्य भी था। इसके अलावा उसने जमात-ए-इस्लामी (पहले जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, जेएमबी के नाम से जाना जाता था), जमात-उल-मुजाहिदीन और अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठनों के लिए भी काम किया।
खुफिया रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अहमद हसन इमरान 1977 के बाद नियमित रूप से बांग्लादेश जाता था और जेएमबी आतंकवादियों से मिलता था। 2001 में, अहमद हसन इमरान ने हावड़ा में इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) द्वारा आयोजित इस्लामिक दर्शन पर एक सेमिनार में भाग लिया था। यहाँ जेएमबी आतंकी गुलाम आजम के बेटे ने कहा था कि इस्लाम एक राष्ट्र से बड़ा है। इस सेमिनार से एक साल पहले इमरान की पत्रिका ‘कलाम’ की ओर से भी एक सेमिनार आयोजित किया था जिसमें जमात के आतंकवादी अबुल कासेम अली और अबू जाफर ने भाग लिया था।
नलियाखाली गाँव में हिंदू विरोधी हिंसा कराने वाला था अहमद हसन इमरान
13 फरवरी 2013 को मौलवी रोहुल कुद्दुस की कथित हत्या को लेकर कट्टरपंथी इस्लामी भीड़ ने नलियाखाली गाँव के हिंदुओं पर कहर बरपाया था। उस हिंदू विरोधी हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता भी अहमद हसन इमरान को बताया जाता है। इस हिंसा में नलियाखाली गाँव, जो दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग पुलिस स्टेशन परिसर के अंतर्गत आता है, वहाँ लगभग 10,000 लोगों की भीड़ ने नलियाखली और पड़ोसी हेरोभंगा, गोपालपुर और गोलाडोगरा गाँवों में 200 घरों को जला दिया था। रिपोर्ट बताती है कि तब ये भीड़ बड़ी संख्या में कोलकाता से ट्रक में भरकर नलियाखली लाई गई थी। भीड़ के हमले में कई पुलिस अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
उसी दौरान जयनगर पुलिस स्टेशन के बारुईपुर क्षेत्र में एक दर्जन हिंदू स्वामित्व वाली दुकानों को लूट लिया गया। इसके बाद, कैनिंग, जयनगर, कुलतली और बसंती पुलिस थाना क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्रों में भी हिंसा की सूचना मिली थी। बाद में तत्कालीन जिला खुफिया ब्यूरो (डीआईबी) ने जिला पुलिस अधीक्षक को दो पेज की रिपोर्ट भेजी थी। (मामला संख्या: 84, दिनांक 19.02.2013, आईपीसी की धारा 394/302/307/153 ए और शस्त्र अधिनियम की धारा 25/27)।
डीआईबी की रिपोर्ट में कहा गया था कि अहमद हसन इमरान के उकसावे के कारण, विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में मुस्लिम युवा राजाबाजार, मेटियाब्रुज़, मोगराहाट, बसंती और अन्य स्थान पर इकट्ठा हुए थे। रिपोर्ट में ये भी लिखा था- “…अहमद हसन इमरान और रहमान के बीच विवाद है। यदि हम रहमान से मिलें, तो उसकी (अहमद हसन) और अन्य लोगों की गुप्त गतिविधियों के संबंध में अधिक जानकारी और सबूत इकट्ठा करने की पूरी संभावना है, जिनके कारण पूरा माहौल खराब हो रहा है और सांप्रदायिकता फैल रही है।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि अहमद हसन विदेशी धन इकट्ठा करता है और चोरी-छिपकर ऐसी हिंसाओं को अंजाम दिलवाता है।
टीएमसी ने अहमद को भेजा राज्यसभा
2013 की हिंसा की घटना पर डीआईबी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अहमद हसन इमरान मुस्लिम युवाओं को भड़काने और उन्हें बम और अन्य हथियारों के साथ प्रभावित क्षेत्र में भेजने के लिए जिम्मेदार था। लेकिन, बावजूद इस रिपोर्ट के 2014 में मुस्लिम समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए इमरान को तृणमूल कॉन्ग्रेस ने राज्यसभा की सदस्यता से पुरस्कृत किया था।
ऐसे में सोचिए जब तृणमूल कॉन्ग्रेस आतंकवादी समूहों से संबंध रखने के आरोपित और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक को राज्यसभा भेज सकती है, तो टीएमसी प्रमुख द्वारा एक अन्य हिंदू विरोधी शाहजहाँ शेख को समर्थन देता देखना कहाँ आश्चर्य की बात है।
शारदा चिट फंड में नाम
दिलचस्प बात यह है कि अहमद हसन इमरान का नाम अन्य आतंकी संबंधों, हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने में शामिल होने के अलावा शारदा चिट फंड घोटाले में भी आया था। 2014 में, टीएमसी सांसद अहमद हसन इमरान से प्रवर्तन निदेशालय ने शारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन के साथ उनके संबंधों पर पूछताछ की थी। ईडी अधिकारियों ने इमरान से सवाल किया था कि वह बंगाली दैनिक कलाम कैसे चला रहे थे।
तुष्टिकरण की राजनीति में जुटी टीएमसी
गौरतलब है कि टीएमसी वर्षों से मुस्लिम समुदाय के तुष्टीकरण की राजनीति में लगी हुई है। आज संदेशखाली मामले में पीड़िताओं का दावा है कि इलाके की विवाहित हिंदू महिलाओं को उनकी उम्र और सुंदरता के आधार पर उठाया जाता है और टीएमसी के लोग ‘संतुष्ट’ होने तक उनका रात-दिन उनका उत्पीड़न करते हैं, लेकिन ममता बनर्जी इन आरोपों को भाजपा-आरएसएस की साजिश कहकर खारिज कर रही हैं। जो कि बिलकुल हैरान करने वाला नहीं है।
आखिरकार जब टीएमसी अहमद हसन इमरान जैसे किसी व्यक्ति का समर्थन कर सकती है, तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी अगर पार्टी शाहजहाँ शेख को राज्यसभा के लिए नामांकित करती है और उनके कामों पर पर्दा डालती है।