लोकसभा चुनाव 2024 के लिए रविवार (10 मार्च) को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी ने 42 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। ये सभी कैंडिडेट पश्चिम बंगाल की अलग-अलग लोकसभा सीटों पर चुनावी ताल ठोंकेंगे। इसमें सबसे अधिक चर्चा बशीरहाट लोकसभा सीट की है। यहाँ से TMC ने मौजूदा सांसद नुसरत जहाँ को हटा कर पूर्व सांसद हाजी नुरुल इस्लाम को टिकट दिया है। वर्तमान समय में तृणमूल नेता शाहजहाँ शेख और उसके गुंडों द्वारा महिलाओं के बलात्कार और जमीन हड़पने जैसे आरोपों के चलते देश भर में चर्चित संदेशखाली इलाका बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र में आता है।
हाजी नुरुल इस्लाम का जन्म 1964 में हुआ था। वो 2009 से 2014 तक टीएमसी के टिकट पर पश्चिम बंगाल में बशीरहाट लोकसभा सीट से सांसद रहे। उनकी गिनती TMC के बड़े मुस्लिम चेहरों में होती है।बशीरहाट से TMC प्रत्याशी हाजी नुरुल इस्लाम साल 2010 के देगंगा दंगों का मुख्य आरोपी है। आरोप है कि यह दंगे दुर्गापूजा में अड़ंगा डालने के लिए करवाए गए थे। कभी वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले देगंगा में साल 2009 के चुनावों में हाजी नुरुल इस्लाम TMC के टिकट पर जीत कर आए थे।
तब उन्होंने सीपीआई नेता अजय चक्रवर्ती को हराया था। माना जाता है कि तब से कभी हिन्दू बहुल रहा देगंगा मज़हबी तौर पर विभाजन का शिकार होता जा रहा है। अब यहाँ की डेमोग्राफी काफी बदल गई है। फिलहाल यहाँ के हालत ठीक नहीं बताए जा रहे हैं।
It is quite likely that Mamata Banerjee wanted to field Sheikh Shahjahan from Basirhat LS. #Sandeshkhali is part of it. That also explains why she dragged her feet on his arrest for almost two months.
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 11, 2024
But now that Shahjahan is in CBI custody, Haji Nurul Islam, TMC’s candidate… pic.twitter.com/VLMcp1nKrV
TMC नेता हाजी नुरुल इस्लाम वही हैं जिन्होंने चुनाव के दौरान अपने समर्थकों से कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ जाने का एलान किया था। तब उन्होंने देगंगा बाजार की एक मस्जिद के ऊपर माइक लगाने और क्षेत्र के एक कब्रिस्तान के विस्तार का वादा किया था। साल 2010 के हिन्दू विरोधी दंगो में विवाद की मुख्य वजह चट्टल पल्ली गाँव में बना एक शिव मंदिर था। यह गाँव स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण परमहंस की संरक्षिका प्रसिद्ध रानी राशमोनी का था। यहाँ के शिव मंदिर के बगल कब्रिस्तान बना हुआ है। इस शिव मंदिर पर 39 वर्षों से हिंदू समाज हर साल हिंदू सामूहिक तौर पर दुर्गा पूजा मानते रहे हैं।
हिंसा 6 सितंबर 2010 को भड़की थी। तब हर साल की तरह हिंदू समुदाय शिव मंदिर के बगल दुर्गापूजा बनवा रहा था। इसी दिन मुस्लिमों ने कब्रिस्तान के चारों तरफ बॉउंड्री बनवानी शुरू कर दी थी। यह बॉउंड्री मंदिर की जमीन तक पहुँच गई तो हिन्दुओं ने विरोध शुरू किया। आरोप है कि इस दौरान हाजी नुरुल इस्लाम ने इस मौके पर वोटों के ध्रुवीकरण के लिए मुस्लिमों को हिन्दुओं के खिलाफ भड़काया था। तब हाजी नुरुल ने 500 मुस्लिओं की भीड़ के साथ सड़क जाम कर दी थी और थाने तक में हंगामा किया था।
बताया यह भी गया था कि तब नुरुल ने एक हिंसक भीड़ के साथ थाने से लौटते हुए राह में पड़ने वाले हिन्दुओं के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की थी। कई वाहनों साथ में आगजनी हुई थी जिसमें पुलिस की भी गाड़ियाँ शामिल थीं। इसके अलावा मंदिर को भी अपवित्र कर दिया गया था। डेली पायनियर के एक पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि हिंसक भीड़ ने सड़क के किनारे काली मंदिर में रखी मूर्ति को तोड़ कर सड़क पर फेंक दिया था। इस दौरान 3 दिनों चल चली हिंसा में 250 से अधिक दुकानें लूटी गईं थी और 50 से अधिक घर जले थे। 5 मंदिरों में तोड़फोड़ हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ देगंगा बाजार की मस्जिदों पर माइक भी लगा दिए गए थे।
Unveiling political chess moves! 🤔 Mamata Banerjee's strategy revealed as Sheikh Shahjahan faces CBI custody. Enter Haji Nurul Islam, TMC's candidate from Basirhat, with a criminal past. The chessboard unfolds, exposing political maneuvers! ♟️🔍 #PoliticalGame #BengalElections pic.twitter.com/e8dC6F1vg3
— Madhu Sudhan-మధు సుధన్-मधु सुधन(Modi Ka Parivaar) (@MadhuSudhan4BJP) March 11, 2024
देगंगा दंगों में कुल 24 लोग घायल हुए थे। एक युवक की गोली लगने से मौत भी हो गई थी। हालात काबू करने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था। तब दर्ज हुई FIR में हाजी नुरुल इस्लाम को हिंसा का मुख्य आरोपित बनाया गया था। TMC नेता ने तब हिंसा में अपनी संलिप्तता से इंकार किया था। उलटे उन्होंने दावा किया था कि वो बवाल को रोकने की कोशिश कर रहे थे। हाजी नुरुल को प्रत्याशी बनाने पर सोशल मीडिया पर तृणमूल कॉन्ग्रेस की काफी आलोचना हो रही है।