हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिख कर प्रवासी मजदूरों को वापस भेजे जाने को लेकर निश्चिंत रहने को कहा है। नीतीश कुमार ने हरियाणा में रह रहे बिहारी प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंता व्यक्त की थी और लॉकडाउन में फँसे उन मजदूरों पर हो रहे हरियाणा सरकार के तमाम ख़र्चों के भुगतान की बात कही थी। खट्टर का ये पत्र दिल्ली के केजरीवाल और उनके बीच का अंतर भी बताता है।
मनोहर लाल खट्टर ने नीतीश को भेजे पत्र में लिखा कि प्रवासी मजदूरों को लेकर उनकी चिंता उचित और प्रशंसनीय है लेकिन वो आश्वस्त करते हैं कि हरियाणा में रह रहे दूसरे राज्यों के नागरिक उतने ही हमारे हैं, जितने वो अपने राज्य के हैं। खट्टर ने स्वीकार किया कि हरियाणा की आर्थिक, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में दिनोंदिन हो रही उन्नति में अन्य भारतीय राज्यों से आए मजदूरों का ख़ासा योगदान है।
इसके उलट अरविन्द केजरीवाल सरकार ने बिहार सरकार को पत्र लिख कर वापस भेजे गए मजदूरों पर हुए कुल ख़र्च का भुगतान करने को कहा था। केजरीवाल ने लिखा था कि टिकट ख़रीदने और मजदूरों को वापस भेजने में लगभग 6.5 लाख रुपए ख़र्च हुए हैं और जैसे ही पुष्ट आँकड़े आएँगे, दिल्ली सरकार बिहार से भुगतान के लिए आगे की प्रक्रिया अपनाएगी। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से इन मजदूरों को मुजफ्फरपुर भेजा गया था। जबकि ऐसी ही स्थिति में खट्टर ने कहा:
“हरियाणा में आकर काम करने वाला अन्य भारतीय नागरिक भी हमारे लिए हरियाणवी ही है। हमने उन्हें अपनों की तरह रखा है और उनका ख्याल किया है। वे हमारी जिम्मेदारी हैं। हम लगातार उनकी मदद कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। हम उनकी रक्षा और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे यहाँ उद्योग वापस खुल रहे हैं और अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है। मजदूर अपने परिवार से वापस मिल कर आते हैं तो उनका स्वागत है।”
Pic 1- Delhi CM @ArvindKejriwal asking money from Bihar Govt for migrants
— संवैधानिक डकैत (@Shivam_h9) May 17, 2020
Pic 2- Haryana CM @mlkhattar politely refusing Bihar Govt’s money by saying ‘Indians are one’
Didn’t want to compare but see contrast b/w two ideologies, Remember Kejriwal is CM bcz of Bihari votes pic.twitter.com/rNRuUO94Y5
साथ ही मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने बिहार से वो धनराशि लेने से भी इनकार कर दिया, जो बिहारी मजदूरों की सुख-सुविधा के लिए ख़र्च किया गया था। खट्टर ने लिखा कि वो इस प्रस्ताव के लिए नीतीश सरकार के आभारी हैं लेकिन वो इस धनराशि को अनुग्रह पूर्वक अस्वीकार करते हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने तुलना करते हुए लिखा कि एक तरफ मजदूरों का किराया उनके राज्यों से वसूलने वाले केजरीवाल हैं जबकि दूसरी तरफ खट्टर ने उदाहरण पेश किया है।
केजरीवाल द्वारा मजदूरों का देखभाल करने के दावों की भी कई बार पोल खुल चुकी है। दिल्ली से बिहार के लिए पैदल निकले प्रवासी मजदूरों ने बताया था कि वह दो दिनों से भूखे हैं, कोई रोजगार नहीं है तो पैदल घर जा रहे हैं। उनका कहना था कि जब भूखे-प्यासे यहाँ मरना ही है, तो रास्ते में ही मर जाएँगे। उन्होंने बताया था कि दिल्ली में खाने-पीने और नहाने-धोने तक में दिक्कत आ रही है, इसीलिए वो पैदल वापस जा रहे हैं।