बसपा सुप्रीमो मायावती ने कश्मीर की यात्रा के लिए कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को फ़टकार लगाई है। मायावती ने इस दौरे के पीछे उनकी मंशा की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं को इंतज़ार करना चाहिए था और जम्मू-कश्मीर के हालात को सामान्य करने के लिए सरकार को कुछ समय दिया जाना चाहिए।
ट्विटर पर मायावती ने अनुच्छेद-370 पर केंद्र सरकार के फ़ैसले का समर्थन किया और इस फ़ैसले का विरोध करने वाली कॉन्ग्रेस और अन्य दलों को कहा कि वो जम्मू-कश्मीर के हालात का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं।
1. जैसाकि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया।
— Mayawati (@Mayawati) August 26, 2019
मायावती ने ट्वीट किया, “जैसा कि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं। इसलिए, वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से अनुच्छेद 370 का प्रावधान रखने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस अनुच्छेद को हटाए जाने का समर्थन किया।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत का संविधान लागू होने के 69 साल बाद सरकार द्वारा यह क़दम उठाया गया है और फ़िलहाल वहाँ स्थिति सामान्य होने में अभी कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि सरकार को स्थिति पर क़ाबू पाने के लिए कुछ समय और दिया जाना चाहिए।
2. लेकिन देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद अब वहाँ पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा। इसका थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर है, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है।
— Mayawati (@Mayawati) August 26, 2019
मायावती ने आगे कहा कि इस स्थिति में, कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए कश्मीर जाना और स्थिति का राजनीतिकरण करने का प्रयास करना उचित नहीं था। उन्होंने आगे कहा कि पार्टियों को कश्मीर जाने से पहले थोड़ा इंतज़ार करना चाहिए।
3. ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा इनका यह कदम नहीं है? वहाँ पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता।
— Mayawati (@Mayawati) August 26, 2019
यहाँ यह बात ग़ौर करने वाली है कि मायावती उन प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं में से एक थीं जिन्होंने विपक्ष का हिस्सा होने के बावजूद अनुच्छेद-370 के बारे में सरकार के फ़ैसले का समर्थन किया था।
आंध्र के सीएम और वाईएसआरसीपी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी, बीजेडी के नवीन पटनायक एनडीए के बाहर अन्य पार्टी के नेता थे, जिन्होंने संसद में इस फ़ैसले का काफी समर्थन किया था। इनके अलावा टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी सरकार का समर्थन किया था।