कश्मीरी नेताओं के साथ पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद सूत्रों ने शनिवार (जून 26, 2021) को बताया कि बैठक के दौरान अनुच्छेद 370 को बहाल करने पर महबूबा मुफ्ती का समर्थन नहीं करने के लिए पीडीपी, नेशनल कॉन्ग्रेस से नाखुश है। बताया जा रहा है कि पीडीपी को लगता है कि जब मुफ्ती ने बैठक में अनुच्छेद 370 का मुद्दा लाया तो नेशनल कॉन्ग्रेस ने बैठक में गुपकार गठबंधन को नीचा दिखाया। पीडीपी को कथित तौर पर नेशनल कॉन्ग्रेस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला से बैठक में अनुच्छेद 370 की बहाली का मुद्दा उठाने की उम्मीद की थी क्योंकि यह सभी कश्मीरी पार्टियों का एक साझा एजेंडा है।
पीडीपी नेशनल कॉन्ग्रेस से खफा?
इसके अलावा, पीडीपी प्रवक्ता फिरदौस टाक ने गुलाम नबी आजाद पर कटाक्ष करते हुए यह भी सवाल किया कि क्या कॉन्ग्रेस खुद का या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का प्रतिनिधित्व कर रही थी। सूत्रों के अनुसार, मुफ्ती ने केंद्र से पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने और दोनों देशों के बीच ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने का आग्रह किया था। उन्होंने बैठक में अनुच्छेद 370 का मामला भी उठाया था, जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के लोग ‘असंवैधानिक, अवैध और अनैतिक’ तरीके से इसके निरस्त होने से नाराज और परेशान हैं।
दूसरी ओर, कॉन्ग्रेस, नेकां और जेकेपीसी ने बैठक में अनुच्छेद 370 की बहाली का मामला नहीं उठाया क्योंकि मामला विचाराधीन था। बैठक में गुलाम बनी आजाद ने केंद्र के सामने कॉन्ग्रेस की 5 माँगें रखीं- राज्य की बहाली, चुनाव, अधिवास कानून बहाल करना, कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी और सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई।
बता दें कि बैठक से पहले मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के बयान से किनारा करते हुए कहा था कि हमें पाकिस्तान के बारे में बात नहीं करनी है बल्कि अपने वतन के बारे में चर्चा करनी है। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान पर बयान निजी है। इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों गुपकार गठबंधन की बैठक हुई थी। उसके बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि कश्मीर के मसले पर केंद्र सरकार को पाकिस्तान से भी बात करनी चाहिए। महबूबा ने आगे कहा था, “यदि सरकार अफगानिस्तान में तालिबान से बात कर सकती है तो फिर कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान से बात क्यों नहीं हो सकती।” उनके इस बयान का कई नेताओं ने समर्थन किया तो कई नेताओं ने इसका विरोध भी किया।
हालाँकि, बैठक से पहले फारूक अब्दुल्ला ने उनके बयान से खुद को अलग कर लिया। फारूक ने साफ तौर से कहा कि वह पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से जम्मू-कश्मीर में अमन लाने की बात करेंगे। डोगरा फ्रंट नाम के संगठन की अगुवाई में लोग सड़कों पर उतरे और महबूबा मुफ्ती को जेल भेजने की माँग की।