महबूबा मुफ़्ती पर पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) लगा कर हिरासत की अवधि बढ़ा दी गई है। महबूबा पर अनुच्छेद 370 का बचाव करते हुए आतंकवादियों के पक्ष में ट्वीट करने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप भी लगाया गया है। कहा गया है कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री अलगाववादियों के साथ मिल कर काम कर रही थी। महबूबा मुफ़्ती के अलगाववादियों के साथ मिल कर काम करने की बात पीएसए डोजियर में शामिल की गई है। उन्होंने अपनी ट्वीट में आतंकियों के मारे जाने के बाद उन्हें ‘सम्मान देने’ की बात की थी। साथ ही महबूबा ने सेना पर केमिकल हथियारों का प्रयोग करने के आरोप मढ़े थे।
महबूबा मुफ़्ती ने न सिर्फ मुस्लिमों के मॉब-लिंचिंग की फ़र्ज़ी ख़बरों को आगे बढ़ाते हुए कई आरोप लगाए थे बल्कि तीन तलाक़ क़ानून के विरोध में भी उलटा-सीधा बका था। पीएसए डोजियर में सबूत के रूप में महबूबा और उमर के कई भाषणों की सूची भी डाली गई है। इनमें से दो सबसे विवादित भाषण हैं। महबूबा को अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ सबसे ज्यादा महबूबा मुफ़्ती ने ही आवाज़ उठाई थी। जुलाई 2019 में दिए गए एक भाषण में महबूबा मुफ़्ती ने कहा था:
“अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद के ढेर को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ अनुच्छेद 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे, सिर्फ़ वो हाथ ही नहीं बल्कि पूरा जिस्म जल कर राख हो जाएगा।”
एक अन्य भाषण में उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं बचेगा। वहीं महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने आरोप लगाया है कि उनकी अम्मी और उमर अब्दुल्लाह को भड़काऊ बयानों के कारण गिरफ्तार नहीं किया गया है, उन्हें सिर्फ़ इसीलिए गिरफ़्तार किया गया है क्योंकि उन्होंने जम्मू कश्मीर पर केंद्र सरकार के ‘अवैध फ़ैसले’ के ख़िलाफ़ ‘आवाज़ उठाने का अपराध’ किया था। इल्तिजा ने कहा कि भाजपा की आलोचना करने पर महबूबा को ‘सजा’ मिली है।
PDP’s #NaeemAkhtar became the sixth mainstream leader in #Kashmir to be booked under the controversial #PSAhttps://t.co/e7dAHWcAL5
— Firstpost (@firstpost) February 8, 2020
पीडीपी के प्रवक्ता फिरदौस टाक ने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से महबूबा पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ पीआईएल दाखिल करने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी? जम्मू कश्मीर के कई नेताओं की हिरासत की 6 महीने की अवधि पूरी हो गई है। इनमें पूर्व आइएएस अधिकारी शाह फैसल भी शामिल हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अली मुहम्मद सागर भी हिरासत में हैं क्योंकि वो पोलिंग बूथों पर घूम-घूम कर लोगों को भड़काया करते थे।