प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित रात्रिभोज में मीसा भारती ने सम्मिलित होने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि जितने रुपयों में यह डिनर आयोजित किया जा रहा है उस राशि से मुजफ्फरपुर में बीमार बच्चों के लिए दवाइयाँ और मेडिकल उपकरण खरीदे जा सकते हैं।
RJD leader Misa Bharti to ANI on dinner called by Prime Minister for all parliamentarians today: Medicines and live equipment can be procured from the amount that is being spent in organising this dinner. https://t.co/220YtvoXRr
— ANI (@ANI) June 20, 2019
समाचार है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरुवार 20 जून) को लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को बैठक और रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है। यह रात्रिभोज दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित होना है। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने सभी सांसदों इसके लिए निमंत्रण भेजा है। केंद्र में दूसरी बार एनडीए सरकार बनने के बाद सभी सांसदों के साथ यह पहली बैठक होगी।
मीसा भारती का बयान ऐसे समय में आया है जब उनके पिता लालू प्रसाद यादव खुद रिम्स (RIMS) अस्पताल के पेड वार्ड में आराम फरमा रहे हैं। बता दें कि जिस वार्ड में सजायाफ्ता कैदी लालू यादव इलाज करवा रहे हैं उसका खर्चा 1000 रुपए प्रतिदिन है। लेकिन मीसा भारती अपने पिता से जाकर यह नहीं पूछतीं कि वो एक साधारण नागरिक की तरह जनरल वार्ड में इलाज क्यों नहीं करवा रहे।
लालू यादव के इलाज में पानी की तरह बहता पैसा बचाकर भी मुजफ्फरपुर के बच्चों के परिजनों को दिया जा सकता है। उस पैसे से भी दवाइयाँ और उपकरण खरीदे जा सकते हैं। एक सजायाफ्ता कैदी जिसकी अपनी खुद की कोई कमाई नहीं है वह 1000 रुपए प्रतिदिन के वार्ड में अपना इलाज क्यों करवा रहा है इसका जवाब भी मीसा भारती को देना चाहिए।
मीसा भारती को अपने पिता के उन दिनों को याद करना चाहिए जब वे रैली नहीं ‘रैला’ किया करते थे और हेलीकॉप्टर से घूम-घूमकर प्रचार किया करते थे। बेतहाशा बहाए गए उस धन का संचय किया गया होता तो आज मुजफ्फरपुर में AES से पीड़ित बच्चों को दवाई भेजी जा सकती थी।
प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया भोज सभी सांसदों के बीच समन्वय और मित्रता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया कार्य है। प्रत्येक सांसद सदन में केवल दूसरे दल के सांसद की टाँग खींचने का काम न करे बल्कि देशहित के मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा हो इसलिए आपसी समझ बढ़ाने के लिए इस प्रकार की बैठकें और भोज शासन व्यवस्था की अनौपचारिक अनिवार्यता है। इसे मुजफ्फरपुर की त्रासदी से जोड़ना हास्यास्पद है।
मीसा भारती उसी प्रकार ‘हीरोइन’ बनने की कोशिश कर रही हैं जैसे फ़िल्मी सितारे किसी आपदा के आने पर कोई त्यौहार न मनाने का वादा करते हैं। मीसा भारती के रात्रिभोज में न जाने से मुजफ्फरपुर के बीमार बच्चे ठीक नहीं हो जाएँगे और न ही वे वापस आएँगे जो अपने माँ बाप को छोड़कर इस दुनिया से चले गए। बल्कि सच यह है कि ये बच्चे बीमार ही नहीं पड़ते अगर लालू यादव और राबड़ी देवी (जो कि मीसा के बाप-माँ हैं) पूरी ऊर्जा के साथ बिहार की जनता के उत्थान के लिए काम करते।