पश्चिम बंगाल में अस्पतालों के भीतर मोबाइल ले जाने पर बैन लगा दिया गया है। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या राज्य की ममता बनर्जी सरकार कोरोना संक्रमण पर जमीनी हकीकत को दबाने की कोशिश कर रही है।
बंगाल के अस्पतालों में मोबाइल पर बैन लगाने का फैसला कुछ वीडियो सामने आने के बाद किया है। ऐसा ही एक वीडियो केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने शेयर किया था। यह वीडियो कथित तौर पर आइसोलेशन वार्ड में एक मरीज द्वारा लिया गया था। इसमें वार्ड के भीतर अव्यवस्था स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रही है।
हालॉंकि ममता सरकार ने इस फैसले की वजह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के गाइडलाइन को बताया है। साथ ही कहा है कि मोबाइल की वजह से संक्रमण ज्यादा देर तक फैलने का खतरा बना रहता है।
Novel #coronavirus spreads through mobile phones&a decision has been taken, as per WHO guidelines, to control the spread of infection. All doctors, medical staff, & patients must deposit their mobile phones outside and collect it while leaving the hospital: WB Chief Secy (22.04) pic.twitter.com/6hTMptCgPP
— ANI (@ANI) April 23, 2020
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने राज्य के अस्पतालों में मोबाइल फोन ले जाने पर पांबदी लगाए जाने के फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, मरीज या तीमारदार कोई भी अस्पताल के भीतर मोबाइल फोन नहीं ले जा सकेंगे।
मुख्य सचिव ने बताया कि संक्रमित जगहों पर मोबाइल के इस्तेमाल से कोरोना वायरस फैलने का खतरा होता है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के मुताबिक यह फैसला लिया गया है कि सभी डॉक्टर, मेडीकल स्टाफ और मरीज अस्पताल के बाहर ही अपना मोबाइल फोन जमा करेंगे, ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके।अस्पताल में स्टाफ और मरीजों के इस्तेमाल के लिए लैंडलाइन और इंटरकॉम लगाया जाएगा।
दरअसल इससे पहले पश्चिम बंगाल के आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो ने राज्य में कोरोना संक्रमितों के लिए किए गए इंतजाम की पोल-पट्टी खोलते हुए ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो में दिखाया गया था कि किस तरह टोलीगंज के एमआर बंगूर अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संदिग्धों को बदइंतजामी के साथ रखा जा रहा है।
वीडियो में दिख रहा था कि अस्पताल में जगह-जगह डेड बॉडी रखी हुई हैं। इनके बीच में ही मरीजों के बेड पड़े हैं। न तो प्रशासन इन मरीजों को वहाँ से उठा रहा है और न ही लोग उनसे दूरी बनाकर रख रहे हैं। अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
1/2: This is a shocking video that has emerged frm alleged M.R.Bangur Hospital,Tollygunje, WB•It is shocking in every sense of the term•Since this VDO is in the Public Domain, I wud request Honble WBCM @MamataOfficial to conduct a thorough enquiry into it&release the FACTs asap pic.twitter.com/d1Ps5Jb3ar
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) April 20, 2020
गौरतलब है कि ये मामला सिर्फ़ इतना ही नहीं है। तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में बंगाल सरकार पर तथ्यों को छिपाने और आँकड़ों में हेराफेरी के भी आरोप लगे हैं। इसके कारण इस समय ये मुद्दा पश्चिम बंगाल में अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है। तृणमूल कॉन्ग्रेस और डॉक्टरों के बीच विवाद भी बढ़ रहा है।
स्वास्थ्यकर्मियों का मत है कि राज्य सरकार जबरदस्ती स्वास्थ्य प्रशासन को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का डाटा सामने लाने से रोक रही है और कह रही है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा नॉमिनेटिड पैनल मौतों को कोरोना से हुई मौतें नहीं घोषित करता तब तक वे इस पर कुछ न करें। इसके अलावा ICMR की कोलकाता विंग का ये भी आरोप है कि टीएमसी ने कोरोना संबंधित टेस्टों की गति को धीरे किया हुआ है।