कहने को कॉन्ग्रेस आज भी सबसे बड़ा विपक्षी दल है, लेकिन उसके सीधे नियंत्रण में आने वाले इकलौते बड़े राज्य मध्य प्रदेश में वह अंदरूनी कलह और असंतुष्टि ही नहीं, लगभग खुले विद्रोह से जूझ रहा है। उसके चार बड़े क्षत्रप आपस में भिड़े पड़े हैं, और वयोवृद्ध-अस्वस्थ अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गाँधी को बीच-बचाव के लिए कूदना पड़ रहा है।
संगठन सिरमौरी के लिए भिड़े कमलनाथ-सिंधिया
अपने आप को इस कार्यकाल के पहले ही दिन से भाजपा से बड़ा ‘गौभक्त’ साबित करने में जुटे मुख्यमंत्री कमलनाथ एक साथ सरकार और संगठन की कुर्सी पर काबिज रहना चाहते हैं। वहीं बताया जा रहा है कि उनके प्रतिद्वंद्वी, गुना के पूर्व सांसद और राजघराने के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी चाहते हैं।
यह रेस इसलिए है क्योंकि न केवल इससे संगठन पर पकड़ मज़बूत रख कर आलाकमान की नज़रों में चढ़ना आसान होगा, बल्कि बहुत सम्भव है कि प्रदेश अध्यक्ष सरकार के बीच में ही विधायकों का पाला बदलवा कर खुद को या अपने किसी चहेते को मुख्यमंत्री बनवा सकता है। विधानसभा चुनावों में पसीना बहाने के बाद भी मुख्यमंत्री पद से हाथ धोने वाले सिंधिया जहाँ इस ‘सुपरपावर’ को तख्तापलट के लिए चाहेंगे, वहीं कमलनाथ की नज़र इसी स्थिति को रोकने पर है।
कमलनाथ लोकसभा चुनावों तक प्रदेश अध्यक्ष थे, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। लेकिन वह अपने खास और जनजातीय समाज के नेता गृह मंत्री बाला बच्चन को प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाना चाहते थे। वहीं सिंधिया का ज़ोर इस पद को अपने कैम्प में करने पर इतना ज़्यादा था कि इस माँग के बाकायदा इश्तिहार भी अख़बारों में छपने लगे, और पोस्टर भी प्रदेश की दीवारों पर लगने लगे। फ़िलहाल तो राष्ट्रीय स्तर पर स्थायी अध्यक्ष के चुनाव पहले होने का हवाला देकर कमलनाथ को ही सेवा-विस्तार दे दिया गया है, लेकिन यह युक्ति कब तक सिंधिया को काबू रख पाएगी, यह देखने लायक होगा।
दिग्विजय पर पर्दे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप
दूसरी ओर पूर्व मंत्री उमंग सिंघर ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर पर्दे के पीछे से प्रदेश सरकार के सूत्र अपने हाथ में रखने का आरोप लगाया है। पलट कर प्रदेश कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने सिंघर पर भाजपा एजेंट होने का आरोप लगाया और छवि धूमिल करने के लिए उनके निलंबन की माँग की है।
गौरतलब है कि पिछले साल जीते विधानसभा चुनावों के बाद दिग्विजय सिंह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। लेकिन उनके विरोध में उनकी हिन्दू-विरोधी छवि और यह बात गई कि उनका पिछला कार्यकाल इतना बुरा था कि भाजपा अगले तीन चुनाव उनके कार्यकाल की याद दिलाकर जीतती रही।
फ़िलहाल एक ओर दिग्विजय सिंह ने सिंघर के साथ किसी सीधे संघर्ष से इंकार तो किया है, लेकिन दूसरी ओर अनुशासनहीनता पार्टी में बर्दाश्त न होने की बात भी उसी साँस में कह डाली। इसके अलावा सिंधिया ने यहाँ भी कूदते हुए कमलनाथ को नसीहत दी कि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उन्हें इन दोनों नेताओं के बीच सुलह के लिए कोशिश करनी चाहिए।
आजिज सोनिया ने मंगाई रिपोर्ट
इन सबके बीच अंतरिम अध्यक्षा और स्वास्थ्य कारणों से पूर्णकालिक अध्यक्ष का पद छोड़ने वालीं सोनिया गाँधी ने भोपाल के बवाल पर पूरी रिपोर्ट मंगाई है। साथ ही सभी गुटों को मामले सुलझाने और एक-दूसरे के खिलाफ मीडिया में बयान न देने की भी हिदायत दी है।
कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय समिति में प्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया ने The Week को बताया कि वे अगले हफ्ते भोपाल में होंगे, और उस दौरे के बाद आलाकमान को रिपोर्ट जाएगी। उन्होंने सिंघर समेत कई नेताओं से पहले ही व्यक्तिगत रूप से बात कर चुकने की भी The Week को पुष्टि की।