केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक सरकार पर केरल का मुजाहिद्दीन ग्रुप भड़क गया है। इस्लामिक रिफॉर्मिस्ट मुजाहिद मूवमेंट का हिस्सा केरल नदवाथुल मुजाहिदीन (केएनएम) ने कहा कि एलडीएफ सरकार को अनुकंपा रोजगार योजना के खिलाफ मुस्लिम कोटा खड़ा करके सरकारी नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण को कम करने की अपनी योजना छोड़ देनी चाहिए। केरल के कोझिकोड में हुई बैठक के बाद मुजाहिद ग्रुप के अध्यक्ष टीवी अब्दुल्ला कोया मदनी ने ये बयान जारी किया।
मनोरमा की रिपोर्ट के मुताबिक, केएनएम ने कहा कि सरकार ने पहले दिव्यांग व्यक्तियों को मुसलमानों की बारी सौंपकर मुस्लिम आरक्षण को खा (गायब कर) लिया था। संगठन ने कहा, “मुसलमानों को बड़ा नुकसान हो रहा है क्योंकि उनके हिस्से को बारी-बारी से अन्य कमजोर वर्गों को फायदा पहुँचाया जा रहा है, जो एक गंभीर मसला है। ये पूरा मामला सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण से जुड़ा है, जो केरल में 40 प्रतिशत है। केरल में मुस्लिमों को आरक्षण ओबीसी आरक्षण के अंदर ही दिया जाता है।
केरल में आरक्षण के लिए 40 प्रतिशत कोटे से 11 एझावा-थियास और बिलावास समुदाय के लिए है, तो 10 प्रतिशत मुस्लिमों के लिए। लैटिन कैथोलिकों और एंग्लो इंडियंस के लिए 4, हिंदू और ईसाई नादरों के लिए 3, ईसाई धर्म अपनाने वाली अनुसूचित जाति के लिए दो, विश्वकर्ना के लिए 2, धीवरस के लिए 2 और अन्य वर्गों को कुल मिलाकर 6 सीटें दी जाती है। वहीं, अंतिम ग्रेड सेवा के बाहर के पदों के लिए 40 में से 14 पद एझावा-थियास और बिलावास के लिए, 12 मुस्लिमों के लिए, 4 लैटिन कैथोलिक और एंग्लो इंडियंस, दो हिंदू-ईसाई नादर के लिए, एक एससी से ईसाई धर्म में परिवर्तित लोगों के लिए, 3 विश्वकर्मा, 1 धीवत और 3 अन्य ओबीसी के लिए हुई थी।
ये नियुक्तियाँ पूर्व-निर्धारित रोटेशन के आधार पर की जाती हैं। ऐसा कहने के बाद, केरल लोक सेवा आयोग (केपीएससी) ने निर्दिष्ट किया है कि सेवा के दौरान मरने वाले सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति या मारे गए, स्थायी रूप से विकलांग या लापता सैन्य कर्मियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति के लिए रोटेशन नियम लागू नहीं होगा।
केरल नदवथुल मुजाहिदीन (केएनएम) ने कहा कि किसी भी बहाने से सामाजिक रूप से वंचित मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को छीनना अस्वीकार्य है। इसमें कहा गया है, “कोटा प्रणाली में नए, कम विशेषाधिकार प्राप्त समुदायों को शामिल करने के कारण मुस्लिम कोटा कम होने पर सरकार को आँख नहीं बंद करना चाहिए। राज्य सरकार को उन सांप्रदायिक ताकतों की मदद नहीं करनी चाहिए जो संविधान द्वारा दिए गए मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं।” बैठक में अध्यक्ष अब्दुल्ला कोया मदनी, उपाध्यक्ष पीपी उन्नीन कुट्टी मौलवी, नूर मुहम्मद नूरशा, हुसैन मदवूर, प्रोफेसर एनवी अब्दुल रहमान और एपी अब्दु समद सहित अन्य लोग उपस्थित थे।