रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ अर्नब गोस्वामी द्वारा जारी किए गए बयान में ऐसा कहा गया है कि किस तरह नहीं झुकने की वजह से उनके समाचार चैनल पर अत्याचार जारी है। इसके बाद उन्होंने यह भी लिखा कि मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों को घेरने की रफ़्तार दोगुनी कर दी है।
अर्नब गोस्वामी के बयान में इस बात का उल्लेख था कि दिल्ली, नोएडा और मुंबई में मौजूद उनके पत्रकारों को 24 घंटे के नोटिस पर बुलाया जा रहा है। इसके अलावा ऐसे पत्रकार, जो कोरोना वायरस से ठीक हुए हैं उन्हें भी मुंबई पुलिस ने आदेश दिया है कि वह यात्रा करके आएँ और थाने में पेश हों।
अर्नब गोस्वामी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, “उन्होंने (परमबीर सिंह) अपने पुलिस वालों को आदेश दिया है कि वह हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहें। फ़ेक न्यूज़ की मदद लेकर चैनल को धमकाया जा रहा है। जाँच के दौरान उनसे आवाज़ नीचे करने के लिए कहा जाता है, अन्यथा उन पर झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं। वह हमें तोड़ना चाहते हैं, इतना ही नहीं रिपब्लिक के पत्रकारों से पूछताछ में शामिल कई लोगों में एक शिव सेना का नेता है। उस नेता पर फिरौती के अनेक मामले दर्ज हैं।”
इसके बाद उन्होंने कहा, “हमारे पत्रकारों ने इस लड़ाई में बने रहने का संकल्प लिया है और उनका नेटवर्क यह जीतेगी। मेरे लिए यह हैरानी की बात है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने 1922 के ब्रिटिश नियम का इस्तेमाल करते हुए यह कार्यवाई की।” महाराष्ट्र सरकार के इस तानाशाही रवैये को मद्देनज़र रखते हुए अर्नब गोस्वामी ने कहा कि वह स्वनिर्मित मीडिया उद्यमी हैं, इसलिए वह मुंबई में रह कर लड़ाई लड़ेंगे।
अंत में अर्नब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नाइंसाफी की इस लड़ाई में मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोग उनके साथ हैं।
मुंबई पुलिस और रिपब्लिक टीवी के बीच तकरार
हाल ही में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी की पूरी एडिटोरियल टीम के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी पर मुंबई पुलिस की मानहानि और उनके लिए असंतोष जताने का आरोप लगाया था। इसके अलावा मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक नेटवर्क को एक और नोटिस भेजा था, जिसमें उन्होंने वहाँ काम करने वाले हर कर्मचारी की जानकारी और लेन-देन से जुड़ी हर तरह की जानकारी माँगी थी।
21 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एग्जीक्यूटिव एडिटर निरंजन नारायणस्वामी से लगभग 9 घंटे की पूछताछ की थी। इसके अलावा उन्हें हंसा रिपोर्ट का सूत्र न बताने के लिए बार-बार आजीवन कारावास की धमकी देकर डराया जा रहा था।
मुंबई पुलिस ने एक प्रेस वार्ता की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि रिपब्लिक टीवी टीआरपी में छेड़छाड़ करके घोटाला करता है जबकि खुद मुंबई पुलिस की एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम शामिल नहीं था। महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय में यह बात स्वीकार कर ली है कि अर्नब गोस्वामी और उनका समाचार समूह टीआरपी घोटाला मामले में आरोपित नहीं है।
रिपब्लिक टीवी ने मुंबई कमिश्नर परमबीर सिंह को झूठे और आधारविहीन आरोप लगाने के लिए 200 करोड़ के मानहानि का नोटिस भेजा। पालघर में साधुओं की लिंचिंग पर रिपोर्टिंग की घटना के बाद से ही मुंबई पुलिस अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक नेटवर्क के पीछे पड़ी है।