बाला साहब की विरासत को संभालने की जद्दोजहद में जुटे राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे नए-नए तरीकों को अपना रहे हैं। एक तरफ शिवसेना मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उसे बाला साहब के वादे को पूरा करने की बात कहती है तो दूसरी ओर शिवसेना के कॉन्ग्रेस से हाथ मिलाने के बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे अपनी छवि को बदलने की जुगत में लग गए हैं।
मुंबई में गुरुवार को आयोजित पार्टी के पहले अधिवेशन में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी का नया भगवा झंडा लॉन्च कर दिया। इस दौरान समर्थकों ने जय शिवाजी-जय भवानी के नारे लगाए। इतना ही नहीं राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को भी सक्रीय राजनीति में उतार दिया। इससे साफ हो गया कि राज ठाकरे अपनी और अपनी पार्टी की विचारधारा को नए सिरे से लोगों के बीच ले जाकर अब विरोधी पार्टियों से खुलकर मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
Maharashtra Navnirman Sena (MNS) chief Raj Thackeray’s son Amit Thackeray has also been inducted into the party today. https://t.co/raNPqraP3j
— ANI (@ANI) January 23, 2020
झंडे को लॉन्च करने से पहले राज ठाकरे ने अपने चाचा बाल ठाकरे को याद किया। दरअसल इस आयोजन को बाला साहब की 94वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया था। वहीं इस बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पार्टी के सत्ता में 100 दिन पूरे होने पर अयोध्या दौरे पर हैं।
असा आहे का महाराष्ट्र नव निर्माण सेनेचा नवीन झेंडा
— gaurav d agnihotri (@gdagnihotri64) January 22, 2020
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विचार महाराष्ट्र धर्माचा !
निर्धार हिंदवी स्वराज्याचा !#मनसे_अधिवेशन#राजमुद्रा ?#मनसेचा_नवा_झेंडा ?@mnsadhikrut @manaseit @RajThackeray @MNSAmeyaKhopkar
Pic 1 MNS old flag..
Pic 2 MNS new flag. pic.twitter.com/hjs4CsHYoA
एमएनएस की ओर से महाअधिवेशन के लिए लगाए पोस्टर पूरी तरह से भगवा रंग में है, जिस पर नारा दिया गया ‘महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिंदू स्वराज्य का निर्धारण करो। साथ ही इसमें महाराज छत्रपति शिवाजी की एक तस्वीर को भी छापा गया है। इसमें संस्कृत भाषा में एक श्लोक भी लिखा गया है। ‘प्रतिपच्चन्द्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववन्दिता, शाहसूनो: शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।’ दरअसल शिवाजी ने सांस्कृतिक प्रवृत्ति की शुरूआत की थी, जिसका अनुपालन उनके वंशजों और अधिकारियों ने भी किया था।
इस अधिवेशन में राज ठाकरे द्वारा अपने बेटे अमित ठाकरे को सक्रीय रूप से राजनीति में उतारने के पीछे आदित्य ठाकरे का सक्रीय राजनीति में आना ही एक वजह माना जा रहा है। वैसे भी पिछले काफ़ी समय से अमित पार्टी की बैठकों में पदाधिकारियों के साथ भागीदारी निभा रहे थे। माना जा रहा है कि शिवसेना की ओर से आदित्य ठाकरे को जुनावी मैदान में लाकर चुनाव लड़ाया, जिसके बाद वह विधायक बने और फिर उन्हें पार्टी ने अपनी कैबिनेट में भी शामिल किया। इस लिए माना जा रहा है कि अमित ठाकरे युवा वोटरों को अपनी ओर लुभा सकते हैं। वहीं पार्टी नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि इस फैसले से महाराष्ट्र में नई ऊर्जा आएगी और महाराष्ट्र की राजनीति में नए मोड़ और नए विकल्प भी खुलेंगे।
बता दें क हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मनसे ने 101 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्यासी उतारे थे, लेकिन पार्टी अपनी 1 सीट ही निकाल पाई थी। वहीं शिवसेना की पुरानी दोस्त बीजेपी अब उसकी सियासी दुश्मन बन चुकी है, तो कभी वैचारिक विरोधी रही कॉन्ग्रेस-एनसीपी ही आज उसकी सबसे बड़ी सारथी हैं। ऐसे में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत के असल वारिस बनने की जंग तेज हो गई है। आशंका ये भी जताई जा रही है कि राज ठाकरे अपनी हिंदुत्ववादी छवि के साथ भविष्य में बीजेपी के क़रीब भी आ सकते हैं। बता दें कि पिछले दिनों राज ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस से मुलाक़ात की थी।