गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का 30 वर्ष पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो वर्ष 1992 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर श्रीनगर में नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण का है। देश गुजरात द्वारा यूट्यूब पर शेयर की गई इस वीडियो में लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं, “जनता की सफलता ने आतंकवादियों को परेशान करके रखा हुआ है। लाल चौक में पोस्टर लगाए गए हैं, दीवारों पर लिखा गया है – जिसने अपनी माँ का दूध पिया हो, वो श्रीनगर के लाल चौक में आए। यहाँ आकर भारत का तिरंगा झंडा फहराए, अगर वो वापस जिंदा जाएगा, तो आतंकवादी उसे इनाम देंगे। 26 जनवरी को परसो अब चंद घंटे बाकी हैं। लाल चौक में फैसला हो जाएगा कि किसने अपनी माँ का दूध पिया है।”
90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, उस वक्त भी नरेंद्र मोदी आतंकवादियों की गीदड़भभकियों से नहीं डरे और पूरे आत्मविश्वास के साथ मुरली मनोहर जोशी के साथ 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा झंडा फहराया था। उन्होंने ऐसा करके ना केवल आतंकवाद को पोषित करने वालों को करारा जवाब दिया था, बल्कि उनकी आने पौध को भी यह संदेश दिया था कि उनके खतरनाक मंसूबों के आगे देशप्रेमियों का जज्बा किसी भी प्रकार से फीका नहीं पड़ने वाला।
आपको बताते चलें कि वर्ष दिसंबर 1991 से बीजेपी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘एकता यात्रा’ शुरू हुई थी। ‘अनुच्छेद-370 हटाओ, आतंकवाद मिटाओ’ के मुद्दे पर 30 वर्ष पहले निकाली गई भाजपा की ‘एकता यात्रा’ आज भी देशवासी नहीं भूले हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा कई राज्यों से होते हुए 24 जनवरी 1992 को भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर पहुँची थी। इसमें लगभग एक लाख के करीब लोग शामिल हुए थे। इन सभी का केवल और केवल एक ही उद्देश्य था, श्रीनगर के लाल चौक में भारत का तिरंगा झंडा फहराना। उस यात्रा में जोशी के साथ वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे। पीएम मोदी उस समय भाजपा के महासचिव थे।
श्रीनगर में देश तिरंगा झंडा फहराने के 21 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ‘एकता यात्रा’ को याद करते हुए कहा था, “मुझे स्मरण है कि मैं 1992 में श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने गया था। उस वक्त आतंकवाद अपने पूरे जोर पर था। आतंकवादी हिंदुस्तान के तिरंगे को जमीन पर रौंदते थे, उसको जलाते थे, उसे अपमानित करते थे। तिरंगे से अपने जूते साफ करते थे, अपनी कार साफ करते थे। ये सब वो कैमरे के सामने करते थे। ये दृश्य मेरे दिल में आग पैदा करता था।”
उन्होंने (पीएम मोदी) कहा था, “हमने एक यात्रा निकाली थी। कन्याकुमारी से तिरंगा झंडा लेकर निकल पड़े थे हम और तय किया था कि श्रीनगर में पहुँचकर वहाँ लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराएँगे। आतंकवादियों की उस जगह पर जाकर तिरंगा झंडा फहराने की सोचना भी…। जैसे ही हम श्रीनगर पहुँचे हम देखते हैं कि आतंकवादियों ने दीवारों पर और कई जगहों पर पोस्टर लगाए हुए थे कि जिसने भी अपनी माँ का दूध पिया हो, वो लाल चौक पर तिरंगा फहराकर वापस जाकर दिखाए। लेकिन इससे पहले जब हमारी यात्रा हैदराबाद पहुँची थी, तभी मुझे लोगों ने उन पोस्टरों के बारे में बता दिया था। इसलिए मेरे भाषणों, बोलने का तरीका और रंग-रूप पहले ही बदल गया था। मैंने हैदराबाद से ही आतंकवादियों को ललकारा था कि मैं 26 जनवरी को श्रीनगर के लाल चौक सुबह 11 बजे पहुँच जाऊँगा। मैं बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर नहीं आऊँगा। मैं बुलेट प्रूफ गाड़ी में भी नहीं आऊँगा। हाथ में सिर्फ तिरंगा झंडा लेकर आऊँगा और फैसला 26 जनवरी को लाल चौक पर होगा कि किसने अपनी माँ का दूध पिया है। इसके बाद मैं अपने समयानुसार लाल चौक पर पहुँचा और झंडा फहरा कर वापस लौट आया और आज आपके सामने खड़ा हूँ।”
बता दें कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने का सबसे बड़ा असर फौज के मनोबल पर पड़ा था। उनका मनोबल काफी बढ़ गया था, क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ रहे थे। वहाँ की जनता को भी भरोसा हो गया था कि देश इस मामले में हमारे साथ है।