Friday, November 15, 2024
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अपनी भाषा में शिक्षा देते हैं दुनिया के शीर्ष 20 देश, अब मातृभाषा में पढ़ेंगे भारत के भी विद्यार्थी: PM मोदी

"GDP के आधार पर विश्व के शीर्ष 20 देशों की लिस्ट देखें तो ज्यादातर देश अपनी गृहभाषा, मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। ये देश अपने युवाओं की सोच और समझ को अपनी भाषा में विकसित करते हैं और दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं पर भी बल देते हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (अगस्त 1, 2020) को ‘ऑल इंडिया स्मार्ट हैकथॉन’ के ग्रैंड फिनाले को सम्बोधित किया। उन्होंने इसमें भागीदारी लेने वालों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये लोग देश के सामने जो चुनौतियाँ हैं, ये उनका समाधान तो देते ही हैं, साथ ही डेटा, डिजिटलाइजेशन और हाईटेक भविष्य को लेकर भारत की आकांक्षाओं को भी मज़बूत करते हैं। पीएम मोदी ने हैकथॉन में कहा कि सभी एक से बढ़ कर एक सोल्यूशन्स पर काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि बीती सदियों में भारत ने दुनिया को एक से बढ़कर एक बेहतरीन वैज्ञानिक, बेहतरीन तकनीक विशेषज्ञ और तकनीक आधारित उद्योगपति दिए हैं। उन्होंने चेताया कि ये 21वीं सदी है और तेजी से बदलती हुई दुनिया में, भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से बदलना होगा। पीएम ने आश्वासन दिया कि अब देश में इनोवेशन, रिसर्च, डिजाइन, डेवलपमेंट और स्टार्टअप्स के लिए ज़रूरी माहौल तेजी से तैयार किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने हैकथॉन फिनाले में जानकारी दी कि ऑनलाइन एजुकेशन के लिए नए संसाधनों का निर्माण हो या फिर स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन जैसे ये अभियान, प्रयास यही है कि भारत की शिक्षा और आधुनिक व मॉडर्न बने, यहाँ की प्रतिभाओं को पूरा अवसर मिले। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि ये पॉलिसी, 21वीं सदी के नौजवानों की सोच, उनकी जरूरतें, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को देखते हुए बनाई गई है।

पीएम मोदी ने हैकथॉन में शामिल युवाओं से कहा कि आज भी अनेक बच्चों को लगता है कि उनको एक ऐसे विषय के आधार पर जज किया जाता है, जिसमें उसकी रूचि ही नहीं है। माँ-बाप का, रिश्तेदारों का, दोस्तों का दबाव होता है तो वो दूसरों द्वारा चुने गए सबजेक्ट्स पढ़ने लगते हैं। बकौल मोदी, इस तरीके ने देश को एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी दी है, जो पढ़ी-लिखी तो है, लेकिन जो उसने पढ़ा है, उसमें से अधिकांश उनके काम नहीं आता। डिग्रियों के अंबार के बाद भी वो अपने आप में एक अधूरापन महसूस करता है। उन्होंने कहा:

नई एजूकेशन पॉलिसी के माध्यम से इसी अप्रोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, पहले की कमियों को दूर किया जा रहा है। भारत की शिक्षा व्यवस्था में अब एक व्यवस्थागत रिफॉर्म, शिक्षा का इंटेंट और कंटेंट, दोनों को बदलने का प्रयास है। हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, हमारे देश के महान शिक्षाविद बाबा साहेब आंबेडकर कहते थे कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो सभी की पहुँच में हो, सभी के लिए सुलभ हो। ये शिक्षा नीति, उनके इस विचार को भी समर्पित है। ये शिक्षा नीति Job seekers की बजाय Job Creators बनाने पर बल देती है। ये हमारे माइंडसेट और अप्रोच में रिफॉर्म लाने का प्रयास है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान दिलाया कि हमारे देश में भाषा हमेशा से एक संवेदनशील विषय रही है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि हमारे यहाँ स्थानीय भाषा को अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया, उसे पनपने और आगे बढ़ने का मौका बहुत कम मिला। उन्होंने बताया कि अब एजुकेशन पॉलिसी में जो बदलाव लाए गए हैं, उससे भारत की भाषाएँ आगे बढ़ेंगी, उनका और विकास होगा। ये भारत के ज्ञान को तो बढ़ाएँगी ही, भारत की एकता को भी बढ़ाएँगी।

हैकथॉन को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने आशा जताई कि इससे विश्व का भी भारत की समृद्ध भाषाओं से परिचय होगा। और एक बहुत बड़ा लाभ ये होगा की विद्यार्थियों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी ही भाषा में सीखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि GDP के आधार पर विश्व के शीर्ष 20 देशों की लिस्ट देखें तो ज्यादातर देश अपनी गृहभाषा, मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। ये देश अपने युवाओं की सोच और समझ को अपनी भाषा में विकसित करते हैं और दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं पर भी बल देते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि एक ओर जहाँ स्थानीय लोक कलाओं और विद्याओं, शास्त्रीय कला और ज्ञान को स्वभाविक स्थान देने की बात है तो वहीं शीर्ष वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों को भारत में कैंपस खोलने का आमंत्रण भी है। उन्होंने याद किया कि किस तरह कोरोना के बीच फेस शील्ड्स की डिमांड को 3D प्रिंटिंग टेक्नॉलॉजी के साथ पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर देश के युवा आगे आए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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