Sunday, November 17, 2024
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मणिपुर के सेब, आदिवसियों की बेर और ‘बनाना फाइबर’ से महिलाओं की कमाई: Mann Ki Baat में महिला शक्ति की कहानी

COVID के दौरान ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में महिलाओं को केले के बेकार तने से फाइबर बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया गया। 'Banana Fibre' के इस काम से एक स्थानीय महिला को 400 से 600 रुपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 जुलाई, 2021) को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 79वें एपिसोड के जरिए देश की जनता को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक के दौरान उनकी तरह पूरा देश रोमांचित होकर देश के खिलाडियों को ‘विजयी भव’ कह रहा था। उन्होंने लोगों से ‘विक्ट्री पंच अभियान’ में हिस्सा लेने की भी अपील की। उन्होंने 26 जुलाई को ‘कारगिल दिवस’ के अवसर पर देशवासियों को बलिदानी भारतीय सैनिकों की गाथा पढ़ने को कहा।

उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो उन्हें भी इनसे गप-शप करने का, उनके बारे में जानने का और देश को बताने का अवसर मिला था। उन्होंने बताया कि ये खिलाड़ी जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करके यहाँ से पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि जो देश के लिए तिरंगा उठाता है, उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक ही है। साथ ही याद दिलाया कि इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।

बकौल पीएम मोदी, ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें ‘अमृत महोत्सव’ में देश याद कर रहा है। सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ किसी सरकार का, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं है। यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा कि रोज के काम करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं, जैसे, ‘वोकल फॉर लोकल’ के माध्यम से हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों का समर्थन करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए। पीएम ने कहा कि देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, हैंडलूम कमाई का बहुत बड़ा साधन है। ये ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी, जुड़े हुए हैं।

उन्होंने लोगों से कहा कि आपके छोटे-छोटे प्रयास बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएँगे। पीएम मोदी ने कहा, “साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं। ये आपका ही प्रयास है कि आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। बात जब आजादी के आंदोलन और खादी की हो तो पूज्य बापू का स्मरण होना स्वाभाविक है। जैसे बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही आज हर देशवासी को भारत जोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करना है।”

पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है, जहाँ सकारात्मकता है, संवेदनशीलता है। ‘मन की बात’ में हम सकारात्मक बातें करते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ दिन पहले MyGov की ओर से मन की बात के श्रोताओं को लेकर एक अध्ययन किया गया, जिसमें सामने आया कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब 75% 35 वर्ष से कम आयु के लोग होते हैं। उन्होंने कहा कि आप लोगों से मिले सुझाव ही मन की बात की असली ताकत है।

साथ ही संदेश भेजने वालों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सुझाव ही मन की बात के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं। पीएम मोदी ने याद दिलाया कि एक समय था जब छोटे छोटे कंस्ट्रक्शन के काम में भी वर्षों लग जाते थे, लेकिन आज तकनीक की वजह से भारत में स्थिति बदल रही है। साथ ही जानकारी दी कि फिलहाल देश में 6 अलग-अलग जगहों पर लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर में आपसे पूछूँ कि वो कौन से राज्य हैं जिन्हें आप सेब के साथ जोड़ेंगे? तो जाहिर है कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा। पर अगर में कहूँ कि इस लिस्ट में मणिपुर को भी जोड़ दीजिए तो आप शायद आश्चर्य से भर जाएँगे। मणिपुर के उखरुल में किसानों ने हिमाचल से प्रशिक्षण लेकर सेब की खेती शुरू की है। हमारे आदिवासी समुदाय में बेर बहुत लोकप्रिय है। आदिवासी समुदाय के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं।”

पीएम मोदी ने कहा कि कोविड-19 की बीमारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है। साथ ही ये भी बताया कि COVID के दौरान ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है, जहाँ महिलाओं को केले के बेकार तने से फाइबर बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि ‘Banana Fibre’ के इस काम से एक स्थानीय महिला को 400 से 600 रुपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती है। बता दें कि लखीमपुर खीरी में सैकड़ों एकड़ जमीन पर केले कि खेती होती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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