बीजू जनता दल के उपाध्यक्ष व ओडिशा सरकार में मंत्री सूर्य नारायण पात्रो ने शुक्रवार (मई 17, 2019) को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में सामने रखा है। मीडिया खबरों के मुताबिक उनका कहना है कि भारत और ओडिशा राज्य के लोग चाहते हैं कि नवीन पटनायक देश के प्रधानमंत्री बनें। सूर्य नारायण का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब चुनावी नतीजे आने में ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि यदि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, और क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन से सरकार चुनी जाती है, तो स्पष्ट है कि बीजद इसमें अपने नेता को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहेगी इसकी संभावनाएँ प्रबल हो गई हैं।
बीजू जनता दल (बीजद) के उपाध्यक्ष व मंत्री सूर्य नारायण पत्रो ने शुक्रवार को कहा कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक प्रधानमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार रहेंगे।https://t.co/SJaS8RIjUn#naveenpatnaik #naveenwithpeople #BJD #BijuJantaDal #Odisha #LokSabhaElections2019
— India Updates (@_Indiaupdates) May 18, 2019
हालाँकि बीजद उपाध्यक्ष ने यह भी कहा है कि नवीन पटनायक को प्रधानमंत्री बनने के लिए कॉन्ग्रेस का समर्थन नहीं लेना चाहिए, क्योंकि कॉन्ग्रेस का इतिहास रहा है, वह पहले तो किसी नेता को प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन देती है, लेकिन कुछ ही महीनों बाद पीछे हट जाती है। वैसे, इस बयान को लेकर यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि सूर्य नारायण पात्रो के इस बयान में नवीन पटनायक की सहमति है या नहीं।
बहुत जल्द चुनाव का परिणाम आने वाला है और ज्यों-ज्यों ये तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे पीएम पद के लिए दावेदारी भी बढ़ती जा रही है। गठबंधन के तमाम नेता पीएम बनने का ख्वाब संजोए बैठे हैं। परिणाम आने से पहले ही गठबंधन के कई नेताओं ने पीएम बनने की इच्छा जाहिर की है, तो कुछ ने डिप्टी सीएम बनने की शर्त रख दी है। गौरतलब है कि, नवीन पटनायक के पीएम पद के दावेदारी से पहले मायावती ने अपने आपको पीएम पद के लिए प्रबल दावेदार बताया था और साथ ही वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को अनफिट करार दिया।
वहीं, पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) अध्यक्ष केसीआर राव ने विपक्ष के सामने खुद को डिप्टी सीएम बनाने की शर्त रखी थी। उन्होंने कहा था कि अगर लोकसभा चुनाव में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, तो वो ग़ैर-बीजेपी गठबंधन की सरकार को अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं, मगर वो सभी उनका समर्थन करेंगे, जब उन्हें सरकार में उप-प्रधानमंत्री का पद दिया जाएगा और इसी भरोसे पर वो 21 मई को होने वाले विपक्ष की मीटिंग में शामिल होंगे।
विपक्ष के नेता जिस तरह से एक के बाद पीएम पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं, उससे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर गठबंधन, पीएम बनाना किसको चाहता है। क्योंकि जिस तरह से नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि सभी लोग पीएम बनने के लिए लालायित हैं।
ऐसे में जब ये लोग खुद पीएम पद के लिए किसी एक नाम पर सहमत नहीं हैं, तो फिर ये लोग सत्ता में आने पर एक साथ मिलकर देश को कैसे चलाएँगे? क्योंकि बिना सत्ता के ही इनकी अंदरुनी खटपट सामने आ रही है, तो सत्ता में आने पर ये देश को किस दिशा में ले जाएँगे, इसके तो बस कयास ही लगाए जा सकते हैं।