कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार को दलित आदिवासियों का फंड लेने के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने तलब किया है। कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियां पूरी करने के लिए दलित और आदिवासियों के विकास के लिए दिया गया फंड ले लिया था।
NCSC के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने इस मामले में बताया, “कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए जारी किया गया फंड अन्य कार्य के लिए लेकर इसका दुरुपयोग किया है। यह अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए उठाए गए कदम के विरुद्ध है। इसका NCSC ने संज्ञान लिया है और इस मामले में कर्नाटक सरकार को नोटिस भेजा है। कर्नाटक सरकार को इस मामले में नोटिस भी भेजा गया है। यदि कर्नाटक सरकार इस मामले में जवाब नहीं देती तो कार्रवाई की जाएगी।”
#WATCH | Diversion of SC/ST funds matter | Chairman of National Commission for Scheduled Castes, Kishor Makwana says, "Karnataka Government misused the fund for the welfare of Scheduled Caste and diverted it elsewhere…Taking cognisance of this, the Commission has sent a notice… pic.twitter.com/hooaO8RtZv
— ANI (@ANI) July 11, 2024
गौरतलब है कि हाल ही में कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने फैसला लिया था कि वह राज्य के दलित-आदिवासियों के दिए गए ₹14,730 करोड़ फंड को अब अपनी गारंटियों में खर्च करेगी।कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹39,121 करोड़ की धनराशि दलित और आदिवासियों के फंड के रूप में जारी किया था। कर्नाटक में नियमों के अनुसार ऐसा करना आवश्यक है। लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार ने इसमें से लगभग एक तिहाई फंड काटने का इरादा कर लिया है। वह पहले भी ऐसा ही कर चुकी है।
कॉन्ग्रेस सरकार ने जुलाई 2023 में राज्य के SC-ST समुदाय के कल्याण के लिए खर्च किए जाने वाले ₹11,000 करोड़ को भी इन गारंटियों के लिए उपयोग करने का फैसला लिया था, जिसके कारण इसकी काफी आलोचना हुई थी। कॉन्ग्रेस सरकार ने यह कह कर अपना बचाव करने का प्रयास किया था कि यह दूसरी योजनाओं को दिया जाने वाला यह पैसा भी गरीबों के विकास में लगेगा। हालाँकि, दलित संगठनों ने उसकी इस दलील को स्वीकार नहीं किया था।
मुफ्त वाली गारंटी ले गईं बजट का बड़ा हिस्सा
कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार की यह गारंटियाँ बजट का एक बड़ा हिस्सा ले जा रही हैं। इससे बाकी के विकास कामों के लिए पैसा नहीं बच रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में इन पाँच चुनावी गारंटियों पर ₹39,825 करोड़ का खर्चा किया गया था। यह कर्नाटक के 2023-24 के बजट का लगभग 17% था। वित्त वर्ष 2024-25 में गारंटियों का यह खर्चा और बढ़ गया है। 2023-24 के मुकाबले इसमें लगभग एक तिहाई की वृद्धि हुई है।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पेश किए गए बजट में कर्नाटक ने इन पाँच चुनावी गारंटियों पर ₹52,000 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई है। राज्य की कई अन्य योजनाओं का असर इस खर्च के कारण पड़ रहा है।
जुलाई 2023 में ही कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी अपने विधायकों से स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें कोई भी फंड नहीं दिए जाएँगे और पूरा फोकस गारंटियों को पूरा करने पर लगाया जाएगा। भाजपा ने कॉन्ग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य के विकास का सारा पैसा अपने चुनावी वादे पूरे करने में फूँक रही है जिससे राज्य पिछड़ रहा है।
राज्य में जीत को कॉन्ग्रेस ने किए थे ‘रेवड़ी’ वादे
2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कॉन्ग्रेस ने पाँच गारंटी दी थी। इन्हें ‘रेवड़ी’ कहा गया था। कॉन्ग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देगी। इसे गृह ज्योति योजना का नाम दिया गया था। इसके अलावा गृह लक्ष्मी नाम की योजना का भी एक वादा किया गया था। इसके अंतर्गत कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि वह राज्य की महिलाओं को ₹2000 प्रतिमाह देगी।
कॉन्ग्रेस ने कर्नाटक की आर्थिक स्थिति और मुफ्त सुविधाओं के वादों से अर्थव्यस्था पर पड़ने वाले बोझ को दरकिनार करते हुए हर परिवार को 10 किलो अनाज देने का भी वादा किया था, इसे अन्न भाग्य योजना का नाम दिया गया था। कॉन्ग्रेस ने राज्य में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा का भी वादा किया था। इसके अलावा राज्य के बेरोजगार युवाओं को भी ₹1500 देने की बात कही गई थी। इनमें से कुछ योजनाएँ पूरी तरह से लागू कर दी गई हैं तो कुछ को आंशिक रूप से लागू किया गया है।
कॉन्ग्रेस के इन ‘रेवड़ी’ वादों का असर अब राज्य के खजाने पर दिख रहा है और वह राजस्व बढ़ाने के लिए नई-नई जुगत भिड़ा रही है। वह राज्य की आम जनता को अब नए कर और बढ़े करों से लादना चाह रही है। साथ ही वह कमाई के नए जुगाड़ भी लगा रही है।
ncsc issues notice to karnataka congress government for using sc st funds to fulfill electoral guarantees