किसान आंदोलन के कारण तीन राज्यों में 16 मार्च तक 814.4 करोड़ रुपए के टोल राजस्व का नुकसान भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को हुआ। केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। ये तीन राज्य हैं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान।
इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार केन्द्रीय मंत्री ने सोमवार को संसद में कहा कि नुकसान मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के राज्यों में हुआ है। इसके अतिरिक्त राजस्थान के कुछ टोल प्लाजा भी इस आंदोलन के कारण प्रभावित हुए हैं। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में क्रमशः 487 करोड़, 326 करोड़ एवं 1.40 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
नितिन गडकरी ने यह भी बताया किसी अन्य राज्य में किसानों के प्रदर्शन के कारण टोल राजस्व का नुकसान नहीं हुआ है। किन्तु पंजाब सरकार से निवेदन किया गया है कि वह राज्य के भीतर टोल प्लाजा की निर्बाध कार्यप्रणाली पर ध्यान दें।
50,000 करोड़ रुपए का व्यापार नुकसान :
118 दिनों से चल रहे इस प्रदर्शन के कारण न केवल एनएचएआई को अपितु स्थानीय व्यापार का भी भारी मात्रा में नुकसान हुआ है। प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। कारण था, प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा पटियाला के कई वेयर हाउस में कब्जा जमा लेना जिसके कारण भारी व्यापार नुकसान हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार की कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने जानकारी दी कि किसानों के इस प्रदर्शन के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ही जनवरी तक लगभग 50,000 करोड़ रुपए का व्यापार नुकसान हुआ है। बावजूद इसके कथित किसान नेता आंदोलन को न केवल जीवित रखना चाहते हैं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी उसका विस्तार करना चाहते हैं।
हाल ही में राकेश टिकैत और दर्शन पाल कृषि कानूनों के विरोध में बैंगलोर में भी अपनी असहमति दर्ज करा चुके हैं। राकेश टिकैत की आगामी योजना शहीद दिवस पर हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से समर्थकों को एकत्र करने की है। इसके पश्चात उनका अगला चरण होगा 28 मार्च को होली के दिन तीनों कृषि कानूनों की प्रतियाँ जलाना। 5 अप्रैल को सुबह के 11 बजे से शाम 5 बजे तक पूरे देश में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के कार्यालयों का घेराव करने का आह्वान भी किया गया है।