बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब पाला बदल दे, कहा नहीं जा सकता।इसीलिए, उनके विपक्षी उन्हें ‘पलटूराम’ कह कर भी बुलाते हैं। वह अपना फायदा देख एक बार पहले भी भाजपा को धोखा दे चुके हैं। उनकी इसी ‘पलटू राजनीति’ की वजह से बिहार में कोई भी दल उन पर भरोसा नहीं करता है। अब उन पर फिर से इसी तरह के खेल खेलने के आरोप लग रहे हैं।
बिहार की दो विधानसभा सीटों गोपालगंज और मोकामा में उपचुनाव हो रहे हैं और नीतीश कुमार दोनों जगह रैली करने नहीं गए। दोनों सीटों पर राजद के प्रत्याशी खड़े हैं। मोकामा से पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मैदान में हैं तो गोपालगंज से राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता प्रत्याशी हैं। इसी को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाने पर भाजपा ने उन्हें घेरा है। पार्टी का कहना है कि नीतीश कुमार महागठबंधन में रहकर ही आरजेडी को हराने में लगे हैं।
वहीं उपचुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान भाजपा का खुलकर साथ दे रहे हैं और पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश मोकामा से ज्यादा दूर नहीं रहते हैं, मगर चोट का हवाला देकर चुनाव प्रचार से दूरी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये अपने आप में गठबंधन के लिए बेईमानी है। साथ ही सवाल दागा कि महागठबंधन में ईमानदारी है ही कहाँ?
इससे पहले नीतीश कुमार ने सोमवार (31 अक्टूबर, 2022) को कहा था कि चिराग पासवान अभी बच्चा हैं। सीएम नीतीश ने कहा था कि चिराग के पिता (रामविलास पासवान) से उनके अच्छे संबंध रहे,हालाँकि बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली। सीएम के इस बयान पर चिराग ने मंगलवार को कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की। मोकामा में बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में वोट माँगने पहुँचे लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नीतीश ने उनके पिता के व्यक्तिगत जीवन को मजाक बनाया। उन्होंने कहा कि ‘बच्चे‘ के बनाए मॉडल से ही जदयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनी है।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार पर हार की जिम्मेदारी से बचने के लिए चुनाव प्रचार नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आभास हो गया है कि दोनों जगह राजद उम्मीदवार और महागठबंधन की हार हो रही है, इसलिए वे चुनाव प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं, ताकि हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेनी पड़े।
बिहार में मुजफ्फरपुर की कुंढ़नी भी खाली हो चुकी है। इस पर भी राजद के उम्मीदवार होंगे। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 240 पर विधायक हैं। सबसे अधिक 78 विधायक राजद के हैं। भाजपा के खाते में 77 तो जदयू के पास 45 विधायक हैं। कॉन्ग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक हैं। चर्चा ये भी है कि तीनों सीट राजद के खाते में आ जाएँगी तो राजद बिना नीतीश कुमार के समर्थन ही सरकार बनाने की स्थित पर विचार कर सकता है और जदयू को तोड़ भी सकता है।
संभवतः नीतीश कुमार के लिए ये स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं होगी और राजद की उनपर निर्भरता खत्म हो जाएगी और पार्टी सरकार में रहते हुए मनमाने फैसले ले सकती है। उपचुनाव से दूरी बनाने का एक कारण यह भी हो सकता है।