Sunday, November 17, 2024
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पंजाब में SC वर्ग के कई लोगों को मिल रही फ्री बिजली पर लगी रोक, अब किसानों की बारी?

इस समय किसानों, एससी और उद्योगों को कुल 9674 करोड़ रुपए की बिजली सब्सिडी दी जा रही है। ख़बर के अनुसार, इसमें किसानों को 6060 करोड़ रुपए, एससी, बीसी समुदाय को 200 यूनिट फ्री देने में 1623 करोड़ रुपए और इंडस्ट्री को 1990 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिल रही है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सरकार ने अब पिछड़े वर्गों के लिए बिजली बिल बढ़ाने का फ़ैसला लिया है। पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) ने तय किया है कि अब उन एससी, बैकवार्ड क्लास और नॉन-एससी बीपीएल परिवारों को बिजली मुफ़्त में नहीं मिलेगी। पहले इन लोगों को 200 यूनिट तक की बिजली प्रतिमाह मुफ़्त में मिलती थी। इसके अलावा उपर्युक्त वर्ग में आने वाले ऐसे लोगों को भी फ्री बिजली का लाभ नहीं मिलेगा, जो किसी संवैधानिक पद पर हों अथवा रिटायर हो गए हों। एससी सहित पिछड़े वर्ग के सरकारी कर्मचारियों पर भी ये नियम लागू होता है

अभी तक इन ग्राहकों को इ किलोवाट लोड तक की पावर सप्लाई दी जाती थी। केवल उन्हें सूची में नहीं रखा गया था, जो इनकम टैक्स भरते हैं। गुरुवार (फरवरी 20, 2020) को जारी किए गए एक कमर्शियल सर्कुलर के अनुसार, पीएसपीसीएल ने कहा है कि किसी भी सरकारी पद पर रहने वाली लोगों को 200 यूनिट फ्री बिजली का लाभ नहीं मिलेगा।

लोग तो यहाँ तक कयास लगा रहे हैं कि पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार किसानों के लिए भी इसी तरह का कोई फ़ैसला ले सकती है। कहा जा रहा है कि दस एकड़ से ज्यादा मध्यम और बड़े किसानों को अगर सब्सिडी से बाहर कर दिया जाता है तो सरकार 3907 करोड़ रुपए बचाने में कामयाब होगी। दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने वित्त विभाग के साथ बैठक कर राज्य की बिगड़ती माली हालत को लेकर चर्चा की थी। अन्य विभागों को भी ख़र्च कम करने को कहा गया है क्योंकि पंजाब राज्य की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

बता दें कि इस समय किसानों, एससी और उद्योगों को कुल 9674 करोड़ रुपए की बिजली सब्सिडी दी जा रही है। ‘दैनिक जागरण’ की ख़बर के अनुसार, इसमें किसानों को 6060 करोड़ रुपए, एससी, बीसी समुदाय को 200 यूनिट फ्री देने में 1623 करोड़ रुपए और इंडस्ट्री को 1990 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिल रही है। मुख्यमंत्री की बैठक में माध्यम किसानों की भी बिजली सब्सिडी छीन लेने का सुझाव दिया गया। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पिछड़े वर्ग के बाद अब किसानों की बारी है?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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