Saturday, December 21, 2024
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आजादी के वक्त थे 3 मुस्लिम बहुल जिले, अब 9 हैं: बंगाल BJP प्रमुख ने कहा- असम और बंगाल में डेमोग्राफी बदलाव सोची-समझी रणनीति, सीएम हिमंता के बयान का किया समर्थन

राँची में हिमंता ने कहा, "असम की आबादी का हमने विश्लेषण किया तो पाया कि साल 1951 के राज्य में मुस्लिम आबादी 12 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 40 फीसदी पर पहुँच गई है। बता दें कि हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हैं। इसी के मद्देनजर वो राँची में एक आम सभा को संबोधित कर रहे थे।

बंगाल भाजपा के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने असम में डोमोग्राफी बदलाव की बात कही थी। मजूमदार ने कहा कि असम में बायोलॉजिकल तरीके से डेमोग्राफी बदलाव नहीं हुआ है। यह बदलाव घुसपैठ का नतीजा है। उन्होंने बंगाल को भी इस समस्या से पीड़ित बताया।

सुकांत मजूमदार ने कहा कि बंगाल में भी इसी तरह अवैध घुसपैठ कराकर डेमोग्राफी को बदला गया है। ऐसा सिर्फ असम और बंगाल में ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी भारत हुआ है, खासकर सीमा से सटे राज्यों में स्वतंत्रता के 70 से 75 सालों में बड़ा डेमोग्राफिक परिवर्तन देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि ये सबके लिए चिंता का विषय है, क्योंकि बायोलॉजिकल तरीके से ये आबादी नहीं बढ़ी है।

मजूमदार ने आगे कहा कि अगर बायोलॉजिकल तरीके से आबादी बढ़ती तो बच्चे पैदा होते, बड़े होते और देश के नागरिक बनते। इस तरह से अगर डेमोग्राफी में परिवर्तन हुआ होता तो चिंता की बात नहीं रहती। लेकिन, बाहर से लाकर बसाए गए लोग चिंता के विषय हैं। उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से डेमोग्राफी चेंज हुई है। इसकी योजना देश के बाहर कहीं से हो रही है।

सुकांत मजूमदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में आजादी के पहले और आजादी के बाद भी तीन जिले मुस्लिम बहुल थे। अब नौ जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं। उन्होंने कहा, “ये कहाँ से हो रहा है? कैसे हो रहा है? इतनी जनसंख्या कैसे बढ़ रही है? प्राकृतिक तरीके से इस तरह से जनसंख्या नहीं बढ़ सकती है।”

उन्होंने कहा, “आप डेटा देख लिजिए, डेटा तो साइंस है, आपको उसको अपनाना पड़ेगा, मतलब डेमोग्राफी चेंज हुई है और पूरी योजनाबद्ध तरीके से हुई है। और इसका प्लानिंग यदि देश के बाहर से कहीं से हो रहा है और भविष्य में यदि ऐसा कुछ निकल… तो मैं आश्चर्य नहीं करूँगा।”

दरअसल, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राँची में एक सभी को संबोधित करते हुए कहा असम में डेमोग्राफी बदलाव पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह विषय उनके लिए राजनीतिक नहीं, बल्कि जीवन और मरण का विषय है। सीएम सरमा ने कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो असम साल 2041 तक मुस्लिम राज्य बन जाएगा। 

राँची में हिमंता ने कहा, “असम की आबादी का हमने विश्लेषण किया तो पाया कि साल 1951 के राज्य में मुस्लिम आबादी 12 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 40 फीसदी पर पहुँच गई है। बता दें कि हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह-प्रभारी हैं। इसी के मद्देनजर वो राँची में एक आम सभा को संबोधित कर रहे थे।

हिमंता सरमा के इस बयान पर कई मुस्लिम नेताओं ने प्रतिक्रिया दी। हैदराबाद से लोकसभा सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेताओं ने सरमा पर जुबानी हमला बोल दिया। ओवैसी ने कहा कि हिमंता सरमा मुस्लिमों की आबादी को लेकर गलत आँकड़ा दे रहे हैं।

बता दें कि आजादी के बाद से असम और बंगाल की जनसंख्या संतुलन में भारी बदलाव हुआ है। इन दोनों राज्यों में मुस्लिमों की जनसंख्या अचानक बढ़ गई है। यह बदलाव खास तौर पर 1961 से 1991 के बीच हुई। साल 1961 से 2011 के बीच में असमिया लोगों की जनसंख्या में बायोलॉजिकल तरीके से गिरावट दर्ज की गई जबकि राज्य की जनसंख्या लगातार बढ़ रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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