कर्नाटक सरकार ने 16 फरवरी को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी सरकारी स्कूलों, सरकारी दफ्तरों और सरकार द्वारा वित्तपोषित स्कूलों को अपने कामकाज से पहले राज्य के ‘राज गान’ को अनिवार्य कर दिया था। लेकिन इस मामले में बीजेपी ने हंगामा मचाया, तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। अब सरकार ने नया ऑर्डर जारी किया है, जिसमें ‘सभी स्कूलों’ में राज गान को अनिवार्य कर दिया गया है। कर्नाटक सरकार ने पिछले आदेश को ‘प्रिंटिंग की गलती’ कहते हुए पलड़ा झाड़ने की कोशिश की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक सरकार के कन्नड़ और संस्कृति विभाग ने 16 तारीख के आदेश में निजी स्कूलों को ‘राज गान’ के दायरे से बाहर रखा था। जिसमें कर्नाटक सरकार ने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि केवल सरकारी स्कूलों को स्कूल असेंबली के दौरान कुवेम्पु द्वारा लिखित राज्य गान- ‘जया भारत जननिया थानुजथे’ गाने के नियम का पालन करना अनिवार्य होगा।
हालाँकि अब बुधवार (21 फरवरी) को एक नया सरकारी आदेश आया है। इसके बाद कन्नड़ और संस्कृति मंत्री शिवराज तंगदागी इसे “प्रिंटिंग की गलती” कहा है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों सहित सभी स्कूलों को स्कूल असेंबली के दौरान अनिवार्य रूप से राज्य गान गाने का निर्देश देने के लिए आदेश में सुधार किया जाएगा।
इस मामले में राज्य के कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि जिन लोगों ने आदेश को तैयार करने में गलती की, उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। अब सरकार द्वारा जारी किए गए ताजे आदेश में सरकारी, निजी, सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त समेत सभी स्कूलों को शामिल कर लिया गया है।
सरकार ने ये बदलाव तब किया, जब इस मामले को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधानसभा में नेता विपक्ष आर अशोक ने उठाया। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि 16 फरवरी के पहले सरकारी आदेश में कर्नाटक के राजगान ‘जय भारत जननिया थानुजथे’ जिसे कुवेम्पु ने लिखा है, को निजी स्कूलों में गाने से छूट क्यों दी गई थी? उन्होंने पूछा कि सरकार की इसके पीछे की मंशा क्या थी? क्या ये निजी स्कूल शिक्षा विभाग के दायरे में नहीं आते हैं?” बता दें कि कुवेम्पु को राष्ट्रकवि कहा जाता है और उनका पूरा नाम कुप्पलि वेंकटप्पा पुत्तपा है। साल 2004 में कर्नाचट सरकार ने इस गीत को राजगीत का दर्जा दिया था।
कुवेम्पु के नारे को भी बदलने की कोशिश?
कर्नाटक के सरकारी स्कूलों के द्वार पर लिखा रहता है, “This is a temple of knowledge, come inside with folded hands” लेकिन पिछले कुछ दिनों में इसे बदलकर “This is the temple of knowledge, ask boldly” कर दिया गया है। बीजेपी के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष और शिकारीपुरा से विधायक बी वाई विजयेंद्र ने सरकार पर इस मामले को लेकर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ कर रही है। उन्होंने इसे कवि कुवेम्पु का अपमान बताया है।