तृणमूल सांसद और बंगाली अभिनेत्री नुसरत जहां इस बृहस्पतिवार (जुलाई 04, 2019) को कोलकाता में रथयात्रा के मौके पर विशेष अतिथि होंगी। निखिल जैन से शादी करने के बाद सिंदूर-मंगलसूत्र सहित ‘हिन्दू’ पहनावे में संसद पहुँचने वालीं नुसरत को पिछले कुछ दिनों में कट्टरपंथियों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। जहाँ देवबंद से पढ़े मौलाना असद कासिम ने सीधे-सीधे कह दिया कि शरीयत इस्लाम के बाहर शौहर ढूँढने की इजाज़त नहीं देती, वहीं सोशल मीडिया पर भी कई कट्टरपंथियों ने उन्हें बुरी तरह ट्रोल किया था। तब पलटवार करते हुए नुसरत जहां ने खुद को ‘नए समावेशी हिंदुस्तान’ का प्रतिनिधि बताया था।
ISKCON ने कहा शुक्रिया, नुसरत की रथयात्रा में शामिल होने की अपील
रथयात्रा की आयोजक गौड़िया वैष्णव संस्था ISKCON ने नुसरत जहां का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वह अन्य लोगों को आगे का मार्ग दिखला रहीं हैं। ISKCON के प्रवक्ता राधारमण दास ने इस आशय से ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने नुसरत का एक वीडियो भी अपलोड किया।
Thank you @nusratchirps for accepting the Rathayatra invitation. You are really showing the road forward. Respecting and caring for what other believes and participating in others festivities & celebrations is a sure way to achieve that elusive social harmony..1/2 pic.twitter.com/wKTMXbm0nS
— Radharamn Das (@iskconkolkata) July 1, 2019
सोमवार (जुलाई 01, 2019) को रिलीज़ किए एक वीडियो में TMC सांसद नुसरत जहां रथयात्रा के आयोजन के लिए ISKCON को बधाई देने के साथ शहर के नागरिकों से उनके साथ इसमें शामिल होने की अपील करतीं हैं। ISKCON इसका आयोजन 1971 से करता आ रहा है। इस वर्ष मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी होंगी, जो इसका उद्घाटन करेंगी।
सामाजिक संदेश भी होगा
इस साल इस रथयात्रा का प्रयास भक्तों का ध्यान परिवारों से दूर वृद्धाश्रमों में जीवन काटने को मजबूर बूढ़े लोगों के प्रति युवाओं के कर्त्तव्य के प्रति आकर्षित करना भी होगा। कोलकाता में आयोजित होने वाली इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ (श्री कृष्ण), उनके बड़े भाई भगवान बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा के रथ को लाखों लोग खींचेंगे। अल्बर्ट रोड स्थित ISKCON मंदिर के पीछे हंगरफोर्ड स्ट्रीट से शुरू यह यात्रा शहर के सभी महत्वपूर्ण मार्गों से होते हुए ब्रिगेड परेड ग्राउंड पहुँचेगी। यहाँ भगवान जगन्नाथ के दर्शन 11 जुलाई तक किए जा सकेंगे। 12 जुलाई को उत्तरायण शुरू होने के बाद रथ मंदिर में लौट आएँगे।