सोमवार (जनवरी 14,2019) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला ‘फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवॉर्ड’ दिया गया है, जिस पर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अवॉर्ड को लेकर पीएम मोदी पर ट्विटर पर कटाक्ष करने का प्रयास किया।
राहुल गाँधी ने मंगलवार (जनवरी 15,2019) को ट्वीट किया, “मैं अपने प्रधानमंत्री जी को वर्ल्ड फेमस कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड हासिल करने की बधाई देता हूँ। यह पुरस्कार इतना प्रसिद्ध है कि इसकी कोई ज्यूरी ही नहीं है, इससे पहले किसी को दिया नहीं गया और अलीगढ़ की एक गुमनाम कंपनी इसे स्पॉनसर करती है। इसके इवेंट पार्टनर: पतंजलि और रिपब्लिक टीवी हैं।”
I want to congratulate our PM, on winning the world famous “Kotler Presidential Award”!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 15, 2019
In fact it’s so famous it has no jury, has never been given out before & is backed by an unheard of Aligarh company.
Event Partners: Patanjali & Republic TV 🙂https://t.co/449Vk9Ybmz
इस पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी ने भी जवाब देते हुए ट्वीट किया कि ये बात एक ऐसा व्यक्ति कह रहा है, जिसके परिवार के कई लोगों ने स्वयं को ही ‘भारत रत्न’ दिया है।
Rich !!! Coming from a person whose illustrious family decided to confer the ‘Bharat Ratna’ on themselves. https://t.co/ipzyRrXNiX
— Smriti Z Irani (@smritiirani) January 15, 2019
प्रधानमंत्री मोदी को मिले इस अवार्ड ने वामपंथी खेमे में नई बहस पकड़ ली है। सरकार विरोधी ‘प्रोपगंडा’ चलाने के लिए मशहूर ‘द वायर‘ ने राहुल गाँधी के ट्वीट के बाद एक लेख लिखा है, जिसमें वो लिखते हैं कि भाजपा के बड़े नेता PM की एक ऐसे अवार्ड के लिए सराहना कर रहे हैं, जिसमें ना तो कोई सार्वजनिक ज्यूरी है, ना ही किसी को इसकी प्रक्रिया पता है। और यह एक ऐसे मार्केटिंग समूह द्वारा दिया जाता है, जिसके आयोजकों ने इसके बावत सवाल पूछने पर इसे एक गोपनीय अवार्ड (कॉन्फीडेंशियल) बताया है।
सवाल यह है कि अगर यही पुरस्कार राहुल गाँधी या इन प्रोपेगंडा-परस्त समूहों के किसी नेता को दिया जाता, क्या तब भी वो इस तल्लीनता से इस पुरस्कार की प्रक्रिया को गलत साबित करने का प्रयास करते? एक ख़ास वर्ग इस देश में, विशेषकर 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से सक्रिय हुआ है, जिसका प्रथम उद्देश्य अपने प्रधानमंत्री को सिर्फ इसलिए नीचा दिखाने का है क्योंकि वो उनकी विचारधारा से अलग विचार रखता है?
फ़िलिप कोट्लर ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला फ़िलिप कोट्लर अवार्ड जीतने के लिए बधाई दी है। उन्होंने लिखा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत में असाधारण आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी विकास हुआ है। उनका पहला फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवार्ड जीतना भविष्य में यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों के लिए मानक बढ़ा देता है।”
Prime Minister Modi’s efforts in India have resulted in extraordinary economic, social and technological advances in India. His winning the first Philip Kotler Presidential award raises the bar for future recipients.”
— Philip Kotler (@kotl) January 15, 2019
विपक्ष द्वारा इस अवार्ड पर प्रश्न उठाने के जवाब में इन्टरनेट पर जवाहर लाल नेहरु के स्वयं खुद को ‘भारत रत्न’ घोषित करने पर सवाल पूछे जाने पर ‘द वायर’ एक ‘फैक्ट चेक़’ के साथ अन्य लेख लाता है, जिसका उद्देश्य जवाहर लाल नेहरु को खुद को ही भारत रत्न घोषित करने पर क्लीन चिट देना है। जबकि सारा देश इस बात से भली-भाँति परिचित है कि वंशवाद में लिप्त एक परिवार, बोफ़ोर्स घोटालों में विश्व प्रसिद्ध नेता स्वयं को भारत रत्न दे चुका है तथा एक आपतकाल के नाम पर अव्यवस्था की जिम्मेदार महिला खुद को भारत रत्न दे चुकी है।
घोटाले, नरसंहार और लोकतंत्र के असल मायनों में प्राण घोंटने वाले लोगों में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक फ़िलिप कोटलर प्रेज़िडेंशियल अवार्ड मिलने पर इतनी छटपटाहट क्यों हो जाती है? क्या यह इस बात का संकेत है कि कॉन्ग्रेस पार्टी और वामपंथी गिरोह उस आत्ममुग्धता और निहिलिज़्म के खो देने के भय से इस तरह का व्यवहार करते हैं जिसके दम पर इन्होंने देश की जनता को गुमराह किया है और उन पर शासन किया है?
शायद वास्तव में यह परिवार यह बात स्वीकारने में अभी वक़्त लगाएगा कि इस देश पर किसी एक परिवार का हक नहीं बल्कि संविधान और देश के उस ‘आख़िरी आदमी’ का है जिसका ज़िक्र महात्मा गाँधी जी नेहरु से किया करते थे।