पीएम मोदी ने रविवार (मार्च 15, 2020) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्क (SAARC) देशों की बैठक बुलाई थी। सार्क से जुड़े देशों ने पीएम नरेंद्र मोदी की पहल का स्वागत करते हुए कोरोना वायरस के कहर से निपटने के लिए एक-दूसरे की मदद को वक्त की जरूरत बताया।
इसके बाद पीएम मोदी ने सार्क देशों की तर्ज पर ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के साथ टेलीफोन पर कोरोना संक्रमण से निपटने के उपायों पर बातचीत की। G-20 समूह के मौजूदा मुखिया (अध्यक्ष) सऊदी अरब ने इस संगठन के देशों की बैठक बुलाने के मोदी के सुझाव को स्वीकार कर लिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने महामारी को लेकर दक्षेस देशों के बीच एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित करने की भारत की हालिया पहल के बारे में बताया।
Prime Minister’s Office: PM mentioned India’s recent initiative to organise a video conference among SAARC countries. The two leaders agreed that a similar exercise at the level of G20 leaders, under the aegis of Saudi Arabia as the Chair of G20, would be useful at a global scale https://t.co/HYdOwPGqUj
— ANI (@ANI) March 17, 2020
यह बैठक वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए होगी और इसमें एक दूसरे से अनुभवों को साझा करने और आगे एक सामूहिक रणनीति बनाने पर जोर होगा। साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।
पीएम मोदी और प्रिंस सलमान ने इस पर सहमति व्यक्त की कि सऊदी अरब के नेतृत्व में इसी तरह की कवायद जी-20 देशों के समूह की ओर से भी की जानी चाहिए। गौरतलब है कि सऊदी अरब मौजूदा समय जी-20 समूह का अध्यक्ष है।
गौरतलब है कि सार्क देशों में कोरोना वायरस से निपटने के लिए COVID-19 इमजेंसी फंड बनाने की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने भारत की ओर से इसमें 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 74 करोड़ रुपए) देने का ऐलान किया था।
पीएम मोदी से वार्ता के बाद मंगलवार को देर शाम सऊदी अरब की राजधानी रियाद स्थित G-20 समूह के कार्यालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि कोरोना वायरस पर विशेष बैठक अगले हफ्ते बुलाई गई है ताकि इस महामारी से उत्पन्न स्थिति व चुनौतियों से लड़ने की एक साझा वैश्विक प्रयास हो सके।
G-20 में दुनिया के इस समय सबसे प्रभावशाली 20 देश शामिल हैं और इसका गठन वर्ष 2007-08 के वैश्विक मंदी के बाद किया था। उसके पहले तक दुनिया के सर्वशक्तिशाली सात देशों का एक संगठन समूह-7 काम करता था।