Saturday, November 23, 2024
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G20 को दिल्ली वाली सोच से बाहर निकाला, हुई 60 शहरों के युवाओं की जन-भागीदारी: वैश्विक समीकरण भी 2 ‘शक्तिमान’ देशों के बजाय बहु-देशीय सोच पर

पीएम मोदी ने कहा, "जी20 प्रेसीडेंसी का हमारा लोकतंत्रीकरण देश भर के विभिन्न शहरों के लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में हमारा निवेश है। इसके अलावा, यह जनभागीदारी के हमारे आदर्श वाक्य का एक और उदाहरण है। हमारा मानना है कि किसी भी पहल की कामयाबी में लोगों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कारक है।"

“गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले कई दशकों तक मुझे देश के लगभग हर जिले में जाने और रहने का मौका मिला। मेरे लिए ये एक जबरदस्त शिक्षाप्रद अनुभव था। भले ही मैं अपने विशाल राष्ट्र की विविधता पर आश्चर्यचकित था, लेकिन एक सामान्य बात थी जो मैंने पूरे देश में देखी। हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग के लोगों में ‘कर सकते हैं’ की भावना थी।” ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्गगार हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने मनी कंट्रोेल को दिए इंटरव्यू में कहा, “उन्होंने बड़ी कुशलता चुनौतियों का सामना किया। विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें गजब का आत्मविश्वास था। उन्हें बस एक ऐसे मंच की ज़रूरत थी जो उन्हें सशक्त बनाए। मेरे जी-20 के लोकतंत्रीकरण को पीछे यही भावना काम करती है।”

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने विश्व के नेताओं के नई दिल्ली पहुँचने से पहले भारत का नजरिया रखा। यह नजरिया भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं से जूझ रही दुनिया में भारत की भूमिका, विश्वसनीय वैश्विक संस्थानों की जरूरत और वित्तीय तौर से गैर-जिम्मेदार नीतियों से होने वाले खतरों के बारे में बताया।

भारत में G20 की अध्यक्षता का नजरिया ‘वसुधैव कुटुंबकम’

पीएम मोदी ने G20 की अध्यक्षता को लेकर कहा, “यदि आप G20 के लिए हमारा आदर्श वाक्य देखें तो यह ‘वसुधैव कुटुंबकम – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है। यह जी-20 की अध्यक्षता के लिए हमारे नजरिए को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करता है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे लिए पूरा ग्रह एक परिवार की तरह है। किसी भी परिवार में हर सदस्य का भविष्य हर दूसरे सदस्य के साथ गहराई से जुड़ा होता है। इसलिए जब हम एक साथ काम करते हैं तो हम एक साथ प्रगति करते हैं। किसी को पीछे नहीं छोड़ते।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह पिछले 9 साल में ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबकी कोशिशों’ वाले नजरिए पर चले हैं। इसने देश को प्रगति के लिए एक साथ लाने और आखिरी छोर तक विकास का फायदा पहुँचाने में बहुत मदद की है। उन्होंने कहा कि आज इस मॉडल की कामयाबी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है।

इसका मतलब बताते हुए उन्होंने कहा सबका साथ मतलब ‘हम सभी पर असर डालने वाली सामूहिक चुनौतियों का सामना करने के लिए दुनिया को एक साथ लाना’। सबका विकास मतलब ‘मानव-केंद्रित विकास को हर देश और हर क्षेत्र तक ले जाना’।

सबका विश्वास मतलब ‘प्रत्येक हितधारक की आकांक्षाओं की पहचान और उनकी आवाज़ के प्रतिनिधित्व के जरिए से उनका विश्वास जीतना’। सबका प्रयास मतलब ‘वैश्विक भलाई को आगे बढ़ाने में प्रत्येक देश की अद्वितीय शक्ति और कौशल का इस्तेमाल करना’।

दुनिया का भविष्य गढ़ने के लिए भारत से आस

वसुदैव कुटुंबकम और अंतरराष्ट्रीय मुश्किलों को हल करने के मानव-केंद्रित नजरिए की पीएम मोदी की अपील पर दुनिया से प्रतिक्रिया आईं। इन प्रतिक्रियाओं को लेकर उन्होंने कहा, “मेरे लिए उस पृष्ठभूमि के बारे में थोड़ा बोलना अहम है, जिसमें भारत जी20 का अध्यक्ष बना।”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि महामारी और उसके बाद संघर्ष की हालातों ने दुनिया के सामने मौजूदा विकास मॉडल के बारे में बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। इसने एक तरह से दुनिया को अनिश्चितता और अस्थिरता के युग में भी धकेल दिया। उन्होंने आगे कहा कि बीते कई साल से दुनिया कई क्षेत्रों में भारत के विकास को उत्सुकता से देख रही है।

उन्होंने देश के आर्थिक सुधार, बैंकिंग सुधार, सामाजिक क्षेत्र में क्षमता निर्माण, वित्तीय और डिजिटल समावेशन पर काम, स्वच्छता, बिजली और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों में परिपूर्णता के काम और बुनियादी ढाँचे में अभूतपूर्व निवेश की अंतरराष्ट्रीय संगठनों और डोमेन विशेषज्ञों यानी सिस्टम सॉफ्टवेयर में महारत रखने वालों ने सराहना की है।

पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक निवेशकों ने भी साल दर साल एफडीआई में रिकॉर्ड बनाकर भारत पर अपना भरोसा जताया। इसलिए, जब महामारी आई तो यह जिज्ञासा थी कि भारत कैसा प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा, “हमने साफ और समन्वित नजरिए के साथ महामारी से लड़ाई लड़ी। हमने गरीबों और कमजोर लोगों की जरूरतों का ख्याल रखा। हमारे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे ने हमें कल्याणकारी मदद के साथ सीधे उन तक पहुँचाने में मदद की।”

कोरोना महामारी के दौरान भारत की कोशिशों को रेखांकित करते हुए पीएम बोले, “दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन अभियान ने 200 करोड़ खुराकें मुफ्त दीं। हमने 150 से अधिक देशों को टीके और दवाएँ भेजीं। यह माना गया कि प्रगति की हमारी मानव-केंद्रित नजर ने महामारी से पहले, महामारी के दौरान और उसके बाद काम किया था।”

मोदी ने कहा, “जब हमने G20 का अपना एजेंडा रखा तो इसका सबने स्वागत किया, क्योंकि हर कोई जानता था कि हम वैश्विक मुद्दों के समाधान खोजने में मदद करने के लिए अपना सक्रिय और सकारात्मक नजरिया लाएँगे। जी20 अध्यक्ष के रूप में हम एक जैव-ईंधन गठबंधन भी शुरू कर रहे हैं, जो देशों को उनकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और साथ ही पृथ्वी के अनुकूल व्यवस्था को सशक्त बनाएगा।”

पीएम ने कहा, “जब वैश्विक नेता मुझसे मिलते हैं तो वे कई क्षेत्रों में 140 करोड़ भारतीयों के कोशिशों की वजह से भारत के बारे में आशावाद की भावना से भर जाते हैं। वे यह भी मानते हैं कि भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है और उसे वैश्विक भविष्य को आकार देने में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। जी20 मंच के जरिए हमारे काम के लिए उनके समर्थन में भी यह देखा गया है।”

दिल्ली से बाहर जी-20 की मेजबानी

दिल्ली से बाहर जी-20 के आयोजनों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से सत्ता के हलकों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी के लिए दिल्ली खासकर विज्ञान भवन से परे सोचने में एक निश्चित अनिच्छा थी। ऐसा शायद सुविधा या लोगों में विश्वास की कमी के कारण हुआ होगा।

उन्होंने कहा, “मैंने देश भर में वैश्विक नेताओं के साथ कई कार्यक्रमों की मेजबानी की है। मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूँ। बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी की गई थी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वाराणसी का दौरा किया।”

पीएम ने आगे कहा कि पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा की गोवा और मुंबई में मेजबानी की गई थी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांतिनिकेतन का दौरा किया थआ। तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने चंडीगढ़ का दौरा किया। दिल्ली के बाहर कई जगहों पर कई वैश्विक बैठकें भी आयोजित की गई हैं। वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन हैदराबाद में आयोजित किया गया था।

भारत ने गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जयपुर में फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कॉर्पोरेशन शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। ये पैटर्न प्रचलित दृष्टिकोण से एक बड़ा बदलाव है। यहाँ ध्यान देने वाली एक और इनमें से कई राज्य ऐसे हैं, जहाँ उस समय गैर-एनडीए सरकारें थीं। पीएम मोदी ने कहा, “जब राष्ट्रीय हित की बात आती है तो यह सहकारी संघवाद और द्विदलीयता में हमारे दृढ़ विश्वास का भी सबूत है। यही भावना आप हमारे G-20 अध्यक्षा में भी देख सकते हैं।”

दरअसल, G20 अध्यक्षता के आखिर तक सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें होंगी। लगभग 125 राष्ट्रीयताओं के 1 लाख से अधिक प्रतिभागी भारत का दौरा करेंगे। वहीं, देश के 1.5 करोड़ से अधिक व्यक्ति इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे या इनके विभिन्न पहलुओं से अवगत हुए हैं।

पीएम मोदी ने कहा, “जी20 प्रेसीडेंसी का हमारा लोकतंत्रीकरण देश भर के विभिन्न शहरों के लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में हमारा निवेश है। इसके अलावा, यह जनभागीदारी के हमारे आदर्श वाक्य का एक और उदाहरण है। हमारा मानना है कि किसी भी पहल की कामयाबी में लोगों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कारक है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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