प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (14 दिसंबर, 2021) को वाराणसी में ‘सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान’ के 98वें स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कल काशी ने भव्य विश्वनाथ धाम महादेव के चरणों में अर्पित किया, और आज विहंगम योग संस्थान का ये अद्भुत आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस दैवीय भूमि पर ईश्वर अपनी अनेक इच्छाओं की पूर्ति के लिए संतों को ही निमित्त बनाता है। उन्होंने कहा कि काशी की ऊर्जा अक्षुण्ण तो है ही, ये नित नया विस्तार भी लेती रहती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद दिलाया कि आज गीता जयंती का पुण्य अवसर है, आज के ही दिन कुरुक्षेत्र की युद्ध की भूमि में जब सेनाएँ आमने-सामने थीं, मानवता को योग, अध्यात्म और परमार्थ का परम ज्ञान मिला था। पीएम मोदी ने सद्गुरु सदाफलदेव को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने समाज के जागरण के लिए विहंगम योग को जन-जन तक पहुँचाने के लिए यज्ञ किया था और आज वो संकल्प बीज हमारे सामने इतने विशाल वट वृक्ष के रूप में खड़ा है।
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि हमारा देश इतना अद्भुत है कि, यहाँ जब भी समय विपरीत होता है, कोई न कोई संत-विभूति, समय की धारा को मोड़ने के लिए अवतरित हो जाती है। उन्होंने कहा कि ये भारत ही है जिसकी आज़ादी के सबसे बड़े नायक को दुनिया महात्मा बुलाती है। बकौल पीएम मोदी, आज देश आजादी की लड़ाई में अपने गुरुओं, संत और तपस्वियों के योगदान को स्मरण कर रहा है, नई पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित करा रहा है। उन्होंने ख़ुशी जताई कि विहंगम योग संस्थान भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “बनारस जैसे शहरों ने मुश्किल से मुश्किल समय में भी भारत की पहचान के, कला के, उद्यमिता के बीजों को सहेजकर रखा है। आज जब हम बनारस के विकास की बात करते हैं, तो इससे पूरे भारत के विकास का रोडमैप भी बनता है। रिंग रोड का काम भी काशी ने रिकॉर्ड समय पर पूरा किया है। बनारस आने वाली कई सड़कें भी अब चौड़ी है गई हैं। जो लोग सड़क के रास्ते बनारस आते हैं, वो सुविधा से कितना फर्क पड़ा है, इसे अच्छे से समझते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी के ‘सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान’ में कहा, “मैं जब काशी आता हूँ या दिल्ली में भी रहता हूँ तो प्रयास रहता है कि बनारस में हो रहे विकास कार्यों को गति देता रहूँ। कल रात 12 बजे के बाद जैसे ही मुझे अवसर मिला, मैं फिर निकल पड़ा था अपनी काशी में जो काम चल रहे हैं, जो काम किया गया है, उनको देखने के लिए। गौदोलिया में जो सौंदयीकरण का काम हुआ है, देखने योग्य बना है। मैंने मडुवाडीह में बनारस रेलवे स्टेशन भी देखा। इस स्टेशन का भी अब कायाकल्प हो चुका है। पुरातन को समेटे हुए नवीनता को धारण करना, बनारस देश को नई दिशा दे रहा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान दिलाया कि कैसे बनारस के विकास का सकारात्मक असर यहाँ आने वाले पर्यटकों पर भी पड़ रहा है। उन्होंने आँकड़े गिनाए कि 2014-15 के मुकाबले में 2019-20 में यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो गई है। 2019-20 कोरोना कालखंड में अकेले बाबतपुर एयरपोर्ट से ही 30 लाख से ज्यादा लोगों का आना-जाना हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि स्वाधीनता संग्राम के समय सद्गुरु ने हमें मंत्र दिया था- स्वदेशी का।
बकौल पीएम मोदी, आज उसी भाव में देश ने अब ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ शुरू किया है। आज देश के स्थानीय व्यापार-रोजगार को, उत्पादों को ताकत दी जा रही है, लोकल को ग्लोबल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा गौ-धन हमारे किसानों के लिए केवल दूध का ही स्रोत न रहे, बल्कि हमारी कोशिश है कि गौवंश प्रगति के अन्य आयामों में भी मदद करे। आज देश गोबरधन योजना के जरिए बायो-फ्यूल को बढ़ावा दे रहा है, ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने लोगों से एपीएल की, “मैं आज आप सभी से कुछ संकल्प लेने का आग्रह करना चाहता हूँ। ये संकल्प ऐसे होने चाहिए जिसमें सद्गुरु के संकल्पों की सिद्धि हो और जिसमें देश के मनोरथ भी शामिल हों। ये ऐसे संकल्प हो सकते हैं जिन्हें अगले दो साल में गति दी जाए, मिलकर पूरा किया जाए। एक संकल्प ये हो सकता है- हमें बेटी को पढ़ाना है, उसका स्किल डेवलपमेंट भी करना है। अपने परिवार के साथ साथ जो लोग समाज में जिम्मेदारी उठा सकते हैं, वो एक दो गरीब बेटियों के स्किल डेवलपमेंट की भी ज़िम्मेदारी उठाएँ।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी में कहा कि एक और संकल्प हो सकता है पानी बचाने को लेकर। उन्होंने सलाह दी कि हमें अपनी नदियों को, गंगा जी को, सभी जल स्रोतों को स्वच्छ रखना है।
बता दें कि स्वरवेद की व्युत्पत्ति दो शब्दों से ली गई है- ‘स्वाह’ का अर्थ है ब्रह्म, सार्वभौमिक ऊर्जा और ‘वेद’ जिसका अर्थ है ज्ञान। इसलिए, स्वर्वेद एक अद्वितीय आध्यात्मिक ग्रन्थ है जो सार्वभौमिक होने के ज्ञान से संबंधित है। आध्यात्मिक पथ के साधक जिन्हें विहंगम योग की असाधारण तकनीक में दीक्षित किया गया है, वे वास्तव में अपने जीवन के हर पहलू को विकसित करना शुरू कर देते हैं। युद्धस्तर पर जिस तरह से पिछले 18 सालों से निर्माण कार्य जारी है आप उसकी विशालता और व्यापकता का स्वतः अंदाजा लगा सकते हैं।