लोकसभा 2019 के निर्वाचन में मतदान प्रतिशत सर्वकालिक उच्चतम स्तर (67.11%) का रहा। हालाँकि यह आँकड़ा एक लोकसभा क्षेत्र वेल्लोर को हटा कर है (यानि 542 सीटों का है), जहाँ निर्वाचन आयोग ने मतदान स्थगित कर दिया था। वहाँ मतदान सम्पन्न होने के बाद ही अंतिम राष्ट्रीय आँकड़ा सामने आएगा। इससे पहले इन 542 सीटों का रिकॉर्ड 65.95% का 2014 में था- वह भी मोदी लहर के दौरान। सभी 543 सीटों को मिला भी दें तो 2014 का अंतिम रिकॉर्ड 66.4% का है।
पूर्वी राज्यों का प्रदर्शन बेहतर, पश्चिमी राज्य रहे पीछे
राज्यवार हिसाब से देखें तो 18 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों में पहले (2014) से अधिक मतदान प्रतिशत रहा, जबकि 16 राज्यों में यह 2014 से नीचे चला गया। तेलंगाना में 2014 का आँकड़ा अलग से उपलब्ध नहीं हो पाया क्योंकि राज्य पिछली लोकसभा का निर्वाचन होने के बाद ही संयुक्त आंध्र से अलग हुआ था। उसके लिए 2014 के आँकड़े से ही तुलना की गई है।
जहाँ देश के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों के राज्यों यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे कम मतदान वाले रहे (एक अपवाद के तौर पर न्यूनतम मतदान प्रतिशत, 29.4%, वाला जम्मू-कश्मीर उत्तरी राज्य है), वहीं सर्वाधिक मतदान प्रतिशत वाले राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों में दक्षिण-पश्चिमी लक्षद्वीप के अलावा बाकी सभी पूर्वी भारत के हैं।
कश्मीर में भारी गिरावट, एमपी-हिमाचल में उछाल
आतंक-ग्रसित जम्मू-कश्मीर में इस बार मतदान प्रतिशत में पिछली बार (2014) के मुकाबले 20% की गिरावट रही। पिछली बार वहाँ 49.7% मतदान हुआ था। भारी हिंसा के बीच भी पश्चिम बंगाल में 2014 के 82.2% से थोड़ा ही कम 81.9% मतदान हुआ। मध्य प्रदेश में दूसरी ओर 2014 के मुकाबले 9.6% की उछाल के साथ मतदान प्रतिशत 71.2% जा पहुँचा, वहीं हिमाचल में 64.5% से 71.5% तक मतदान का स्तर पहुँचा। कश्मीर के अलावा केवल दो राज्यों में 60% के नीचे मतदान हुआ- बिहार में 58.1% और यूपी में 59.6%।