Wednesday, October 2, 2024
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जन सुराज अब हो गई पार्टी, पटना के मैदान से प्रशांत किशोर ने किया ऐलान: ‘जय बिहार’ का दिया नारा, कहा- आवाज बंगाल तक पहुँचनी चाहिए, जहाँ बिहार के छात्रों को पीटा

प्रशांत किशोर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो दल के नेतृत्व करने वाले लोगों में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा है कि वे दल बनने के बाद भी पहले की तरह पदयात्रा करते रहेंगे। प्रशांत किशोर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जन सुराज बिहार के अगले विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और आगामी चार विधानसभा उप-चुनाव में भी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में एक नए राजनीतिक दल की एंट्री हो गई है। यह राजनीतिक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार रहे प्रशांत किशोर ने गठित किया है। इस राजनीतिक दल का नाम ‘जन सुराज पार्टी’ होगा। इसके पहले PK के नाम से प्रसिद्ध प्रशांत किशोर जन सुराज के बैनर तले 2 मई 2022 से बिहार के गाँव-गाँव का दौरा कर रहे थे।

प्रशांत किशोर ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, “जन सुराज अभियान 2-3 साल से चल रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि हम पार्टी कब बनाएँगे। हम सभी को भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए। आज चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर जन सुराज को जन सुराज पार्टी के रूप में स्वीकार कर लिया है।” उन्होंने जय बिहार का नारा दिया और कहा कि यह आवाज बंगाल तक पहुँचनी चाहिए, जहाँ बिहार के छात्रों को पीटा गया।

प्रशांत किशोर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो दल के नेतृत्व करने वाले लोगों में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा है कि वे दल बनने के बाद भी पहले की तरह पदयात्रा करते रहेंगे। प्रशांत किशोर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि जन सुराज बिहार के अगले विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और आगामी चार विधानसभा उप-चुनाव में भी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

प्रशांत किशोर ने बुधवार (2 अक्टूबर 2024) को राजधानी पटना के वेटेनरी कॉलेज ग्राउंड में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया और यही अपने पार्टी के नाम की घोषणा की। उन्होंने मंच पर पहुँचते ही ‘जय जय बिहार’ का नारा दिया। इसके बाद जन सुराज के इस कार्यक्रम में प्रार्थना गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता..’ गाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

प्रशांत किशोर ने मंच से कहा, “…आप सभी को इतनी जोर से ‘जय बिहार’ कहना चाहिए कि कोई आपको और आपके बच्चों को ‘बिहारी’ न कहे और यह गाली जैसा लगे। आपकी आवाज दिल्ली तक पहुंचनी चाहिए। यह बंगाल तक पहुंचनी चाहिए, जहां बिहार के छात्रों को पीटा गया। यह तमिलनाडु, दिल्ली और बॉम्बे तक पहुंचनी चाहिए, जहां भी बिहारी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की गई।”

इस दौरान वरिष्ठ वकील वाईवी गिरी ने लोगों को संबोधित किया। उनके बाद चौथे नंबर पर संबोधन के लिए पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन मंच पर पहुँचे। उनके बाद पूर्व एमएलसी रामबली चंद्रवंशी आए। उन्होंने कहा कि बिहार में 35 सालों से बड़े भाई और छोटे भाई का राज रहा, लेकिन राज्य अपने हालात पर आँसू बहा रहा है। उन्होंने कहा कि एक साल या 10 साल लगे, बिहार के हालात को बदला जाएगा।

जन सुराज से जुड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार को दो भाइयों ने मिलकर लूटा है। ये लोग जन सुराज के आने से बौखला गए हैं। राजद वाले सबसे ज्यादा बौखलाए हुए हैं। चिट्ठी निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन सुराज तीसरा विकल्प खड़ा कर रहा। जन सुराज पार्टी के स्थापना कार्यक्रम में प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई।

चंपारण के एक रिटायर्ड टीचर गोरख महतो ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस दौरान महतो ने कहा कि प्रशांत किशोर 21वीं सदी के महानायक हैं, जिन्होंने उनके जैसे एक अति पिछड़ी जाति के आदमी को इतना सम्मान दिया है। जन सुराज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा गया है कि जन सुराज अभियान एक अहम पड़ाव पर पहुँच चुका है।

इसमें आगे लिखा है, “बिहार के लाखों लोगों के सामूहिक प्रयास का यह अभियान आज राजनीतिक दल का स्वरूप लेने जा रहा है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ज्ञान की भूमि और लोकतंत्र की जननी माने जाने वाले बिहार में ऐसे दल की नींव रखी जा रही है जो किसी व्यक्ति, जाति, वर्ग या परिवार का न होकर बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के सपने को साकार करने को संकल्पित लोगों का होगा।”

जन सुराज का संविधान

जन सुराज का जो नया संविधान तैयार किया गया है, उसमें चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम अर्हता का जिक्र नहीं किया गया है। संगठन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, यह भारत के मूल संविधान के मद्देनजर ऐसा किया गया है। भारत के संविधान में सभी व्यक्ति को चुनाव लड़ने का हक और अधिकार है। पार्टियों को भारत का संविधान मानना होता है।

संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि संविधान के अनुरूप पार्टी का संविधान नहीं होने पर चुनाव आयोग के पास एक्शन लेने का अधिकार है। संविधान में न्यूनतम अर्हता का जिक्र नहीं किया गया है। इसलिए ऐसा किया गया है। लोक प्रतिनिधित्व 1951 के अनुच्छेद-2 में कहा गया है कि राजनीतिक दल का उद्देश्य संविधान के अनुरूप ही होना चाहिए।

जन सुराज के सिलेक्शन कमेटी के सदस्य गणेश राम ने न्यूनतम अर्हता को पार्टी के संविधान में शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि इसे भारत के मूल संविधान को देखकर तैयार किया गया है। गणेश राम ने आगे कहा, “यह भी तो हो सकता है कि हम टिकट वितरण में इसे लागू करें? प्रशांत किशोर की कोशिश है कि बिहार में अंगूठा छाप नेता लोगों पर राज न कर पाए।”

पार्टी सूत्रों के हवाले से टीवी 9 भारतवर्ष ने कहा है कि संविधान में दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदाय में शिक्षा की कमी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। संविधान में अगर न्यूनतम अर्हता को शामिल किया जाता तो बाकी पार्टियाँ इसे दलित और पिछड़ा विरोधी घोषित करती। प

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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