चुनाव नतीजों में कॉन्ग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद प्रियंका गाँधी ने अपने निजी सचिव धीरज श्रीवास्तव को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। जानकारी के मुताबिक प्रियंका के पार्टी महासचिव बनने के कुछ हफ्तों बाद ही धीरज को उनका ओएसडी नियुक्त किया गया था। यूपीए सरकार में धीरज पीएमओ में एक महत्तवपूर्ण पद पर कार्यरत थे। साथ ही यूपीए सरकार के हर फैसले में उनकी एक अहम भूमिका हुआ करती थी। धीरज को जन नीतियों के लिए विशेषज्ञ भी माना जाता था।
रिपब्लिक इंडिया की खबर के अनुसार धीरज श्रीवास्तव सोनिया गाँधी और अशोक गहलोत के करीबी हुआ करते थे। प्रियंका गाँधी से पहले उन्होंने इन दोनों दिग्गज़ नेताओं को ओएसडी के रूप में सेवा भी प्रदान की थी। 2019 के चुनाव में उन्हें कॉन्ग्रेस ने जीत के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन फिर भी कॉन्ग्रेस यूपी में सिर्फ़ एक सीट जीत पाई। शायद यही कारण है कि दिग्गज नेताओं के करीबी होने के बावजूद भी उन्हें प्रियंका ने बर्खास्त कर दिया।
Priyanka Gandhi Vadra sacks her secretary over Congress’ poor performance in 2019 Lok Sabha elections, takes no ownership herselfhttps://t.co/4ZrzsLJcDF
— Republic (@republic) June 17, 2019
गौरतलब है कि प्रियंका गाँधी हाल ही में 13 जून को जनता का आभार प्रकट करने अपनी माँ और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के साथ रायबरेली पहुँची थी। यहाँ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उनके तेवर काफ़ी तल्ख नजर आए थे। इस दौरान रायबरेली में हुई जीत का पूरा श्रेय उन्होंने सोनिया गाँधी और रायबरेली की जनता को दिया था। साथ ही जिला संगठन और कामचोरी करने वाले कुछ नेताओं को सख्त संदेश भी दिया था। प्रियंका ने कहा था, “सच्चाई ये है कि आप सब में जिसने भी दिल से काम किया है, उसकी जानकारी आपको है। जिसने नहीं किया है, उसकी जानकारी मैं करूँगी।”
कॉन्ग्रेस महासचिव ने इस दौरान कहा था, ” मैंने हमेशा कहा है कि चुनाव संगठन लड़ाता है, लेकिन आज आपके सामने खड़े होकर कह रही हूँ कि आप सबने दिल से चुनाव नहीं लड़ा। यह संघर्ष का समय है। जो घबरा रहा है, जो समझौता करना चाहता है, जिसका दिल इस संघर्ष में नहीं है, उसके लिए रायबरेली कॉन्ग्रेस और यूपी की कॉन्ग्रेस में कोई जगह नहीं है। कॉन्ग्रेस में काम करना है, तो दिल से करना है और इसके लिए संघर्ष करना पड़ेगा। हार की समीक्षा अभी आगे भी जारी रहेगी। जल्दी ही फिर यहाँ आऊँगी और एक-एक करके कार्यकर्ता व नेता से बात करूँगी।”
अब ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या कॉन्ग्रेस और प्रियंका गाँधी चुनावों में मिली करारी हार का जिम्मा शीर्ष नेताओं को न देकर जमीनी कार्यकर्ताओं और छोटे नेता एवं अधिकारियों को दे रही हैं, क्योंकि एक ओर तो पार्टी हार का पूरा जिम्मा लेने वाले राहुल गाँधी का इस्तीफ़ा अस्वीकार कर देती है और उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए मजबूर करती है, जबकि दूसरी ओर पार्टी की महासचिव जमीनी कार्यकर्ताओं और अन्य अधिकारियों को हार के लिए दोषी ठहराती हैं और उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर देती है।