पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री (Punjab Health Minister) विजय सिंगला (Vijay Singla) को रिश्वतखोरी के आरोप में पद से हटाने और एंटी-करप्शन सेल द्वारा गिरफ्तार करने के बाद अब उनके OSD को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। OSD (विशेष कार्य अधिकारी) का नाम प्रदीप कुमार है।
जाँच अधिकारियों को यह पता चला है कि सिंगला विभिन्न तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसके लिए उन्होंने अप्रैल 2022 में अपने नजदीकी रिश्तेदारों का गिरोह बनाया था। उन्हीं के माध्यम से सिंगला विभिन्न भ्रष्टाचारों को अंजाम देते थे। यही नहीं, सिंगला ने मंत्रालय के भ्रष्ट अधिकारियों को भी बचाने और घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
दरअसल, यह कहानी मोहाली स्थित पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉरपोरेशन (PHSC) में डेप्युटेशन पर निगरानी इंजीनियर (SE) के पद कार्यरत राजिंदर सिंह से शुरू होती है। करीब एक महीना पहले राजिंदर सिंह अपने कार्यालय में थे, तभी एक दिन फोन आया और कहा गया कि मंत्री सिंगला उनसे मिलना चाहते हैं। फोन करने वाले व्यक्ति OSD प्रदीप कुमार ही थे।
राजिंदर सिंह जब पंजाब भवन के कमरा नंबर 203 में पहुँचे तो वहाँ मंत्री सिंगला और प्रदीप कुमार बैठे थे। सिंगला ने कहा कि प्रदीप कुमार जो कुछ कहेंगे उसे सुन लीजिए और इसे मंत्री का ही कहा गया मान लीजिए। यह कहकर सिंगला वहाँ से निकल गए।
काम की बात करते हुए प्रदीप कुमार ने कहा कि करीब 41 करोड़ रुपए का निर्माण कार्य आवंटित किया गया है। इसके लिए लगभग 17 करोड़ रुपए ठेकेदारों को मार्च में ही दे दिए गए हैं। इस तरह कुल 58 करोड़ रुपए के लिए प्रदीप कुमार ने 2 प्रतिशत के हिसाब से 16 लाख रुपए कमीशन के रूप में माँग की।
इसके बाद राजिंदर सिंह ने यह काम करने से मना कर दिया। राजिंदर सिंह के इनकार को देखते हुए प्रदीप कुमार ने 20 मई को कहा कि 16 लाख नहीं तो 10 लाख रुपए ही दे देना। इसके बाद उन्होंने ठेकेदारों के हर पेमेंट पर एक प्रतिशत कमीशन की माँग रखी। स्थिति को भाँपते हुए राजिंदर सिंह 5 लाख रुपए तक देने के बात कही।
इसके बाद 23 मई को प्रदीप कुमार ने राजिंदर सिंह को फिर फोन कर सचिवालय बुलाया। यहाँ पर सिंगला ने पाँच लाख रुपए प्रदीप कुमार को देने के लिए कहा। राजिंदर सिंह ने इसकी रिकॉर्डिंग कर ली। इस रिकॉर्डिंग को लेकर वह मुख्यमंत्री भवगवंत मान (CM Bhagwant Mann) को दे दी।
इसके बाद भगवंत मान ने विजय सिंगला को उनके पद से हटा दिया। सीएम मान ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री भ्रष्टाचार में संलिप्त थे और पुलिस-प्रशासन के पास इसके सबूत भी हैं। विजय सिंगला पर आरोप है कि वो राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए जा रहे टेंडरों में 1% कमीशन ले रहे थे।
भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने और घोटालों को छिपाने का आरोप
रिश्वतखोरी के इस खुलासे के बाद यह बात भी सामने आई है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने के बाद विजय सिंगला भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गए। मंत्रालय में आते ही उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम शुरू कर दिया। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में मनपसंद पदस्थापना की माँग करने वाले अधिकारियों को अपना एक महीने का वेतन सिंगला के नेटवर्क को देने के लिए कहा गया था।
इतना ही नहीं, सिंगला ने कॉन्ग्रेस शासन में हुए घोटालों पर भी पर्दा डालने की कोशिश की। सिंगला के नेटवर्क और नशामुक्ति केंद्रों के मालिकों के बीच एक कथित डील भी सामने आई है। कहा जा रहा है कि यह सौदा सिंगला के एक रिश्तेदार के माध्यम से यह सौदा किया गया था। सिंगला का यह रिश्तेदार भी नशामुक्ति केंद्र चलाता है।
इसके अलावा, इसके अलावा, सिंगला के कार्यकाल में बनी बूप्रेनोर्फिन (ऑपिओइड विकारों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा) के अलावा कुछ दवाओं की आपूर्ति की भी जाँच की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा आवंटित 198 करोड़ रुपए के आपातकालीन सेवा और स्वास्थ्य प्रणाली पैकेज के उपयोग की भी जाँच होने की संभावना है।
सिंगला ने अपने कार्यकाल के दौरान 60 से अधिक टेंडर निकाले थे। इसमें प्रस्तावित मोहल्ला क्लीनिक के लिए उपकरण खरीदने के टेंडर भी शामिल हैं। अब सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के जाँच के आदेश दिए हैं।