पूरा भारत राममय है। भगवान राम के नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। सारा देश इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, लेकिन विपक्ष के नेता घृणा फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने ऐसा दावा कर दिया, जिसके बाद लोग उनकी बुद्धि पर तरस खा रहे हैं। राउत ने दावा किया है कि रामलला का मंदिर मूल जन्मस्थान पर नहीं, बल्कि वहाँ से 4 किलोमीटर दूर बनाया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय राउत ने कहा है कि बीजेपी जिस जगह पर राम मंदिर बनवा रही है, वह मंदिर का मूल स्थान नहीं है। मंदिर वहाँ से 3-4 किलोमीटर दूर बनवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले कहते थे कि ‘रामलला हम आएँगे मंदिर वहीं बनाएँगे’, लेकिन मंदिर वहाँ नहीं बना है। राउत ने कहा कि मूल स्थान से दूर तो कोई भी राम मंदिर बनवा सकता था।
संजय राउत ने कहा कि वो विवादित जगह आज भी वैसे ही है। राउत के इस बयान को विपक्षी नेता हाथों-हाथ ले रहे हैं और इसको लेकर सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने में जुट गए हैं। संजय राउत के इस बयान का वीडियो विकास बंसल नाम के एक कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ता ने भी शेयर किया है।
"मंदिर वही बनाएंगे" "मंदिर वही बनाएंगे" बोल बोल कर बाबरी मस्ज़िद गिराई। बाबरी मस्जिद के बड़े गुंबज के नीच ही भगवान श्री राम लला का जन्म हुआ था इस लिए वही मंदिर बनाने के हेतु से मस्जिद गिराई गई। फिर मंदिर वहा से 3 किलोमीटर दूर क्यों बनाया जा रहा है? अगर 3 किलोमीटर दूर ही मंदिर… pic.twitter.com/rNvmkhvuaU
— Vikas Bansal (@INCBANSAL) January 15, 2024
संजय राउत के बयान को लेकर ऑपइंडिया से बात करते हुए विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि इस तरह की बातें करने वाले विधर्मी हैं। ये लोग मानसिक दिवालियेपन के शिकार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह आरोप लगाने वाले लोग मानसिक दिवालियेपन की पराकाष्ठा पार कर रहे हैं।
विनोद बंसल ने ऑपइंडिया से कहा, “पूज्य संतों… श्रेष्ठ लोगों… वरिष्ठ लोगों ने इस स्थान को तय किया है। अगर किसी व्यक्ति को संदेह है इस स्थान को लेकर, वो भी किसी राजनीतिक व्यक्ति को तो उन्हें संतों की शरण में जाना चाहिए।” उन्होंने संजय राउत के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया।
ये है संजय राउत के दावे की हकीकत
दरअसल, संजय राउत भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। उन्होंने मंत्रोच्चार के बीच इस अनुष्ठान को पूरा किया था। ये वही जगह थी, जहाँ भगवान राम का मंदिर हमेशा से हुआ करता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी जगह पर राम मंदिर की आधारशिला रखी थी, जहाँ पर भगवान राम दशकों से टेंट में रहते आ रहे थे।
ये वही जगह थी, जिसे कारसेवकों ने बाबरी ढाँचे को ढहाकर समतल कर दिया था और एक चबूतरा बना दिया था। इसी चबूतरे पर रामलला को रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था, “बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे ‘हमारे रामलला’’ के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा।”
उन्होंने कहा था, “टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।” राउत के सवाल के बाद अब आप भी सोच रहे होंगे कि अगर ये वही जगह है तो फिर भगवान राम कहाँ हैं, क्योंकि उस जगह पर तो निर्माण कार्य चल रहा है। तो इसका जवाब भी हम आपको दे देते हैं।
मार्च 2020 को भगवान राम को किया गया था अस्थाई मंदिर में शिफ्ट
दरअसल, भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण कार्य के शुरू होने से पूर्व ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट कराया था। योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च 2020 को तड़के ही इस काम को संपन्न कराया था।
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था, “भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान… मानस भवन के पास एक अस्थायी ढाँचे में ‘रामलला’ की मूर्ति को स्थानांतरित किया। भव्य मंदिर के निर्माण हेतु ₹11 लाख का चेक भेंट किया।”
अयोध्या करती है आह्वान…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 25, 2020
भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान…
मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में 'रामलला' की मूर्ति को स्थानांतरित किया।
भव्य मंदिर के निर्माण हेतु ₹11 लाख का चेक भेंट किया। pic.twitter.com/PWiAX8BQRR
अब तो मामला समझ में आ ही गया होगा। दरअसल, रामलला को तिरपाल से मुक्ति दिलाकर उन्हें अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया था, जो मानस भवन के नजदीक है। इस बात की सूचना भी सार्वजनिक तौर पर मौजूद है। ऐसे में संजय राउत का बयान न सिर्फ उनके मानसिक दिवालिएपन को दर्शाता है, बल्कि ये भी बताता है कि विपक्ष के नेता किस तरह से जनता में भ्रम और घृणा फैलाने का काम कर रहे हैं।