हिंदू समाज द्वारा मनाई गई पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद की रस्म तेरहवीं में पूर्व विधायक इमरान मसूद व शाजाद मसूद सहित परिवार के अन्य सदस्यों के शामिल होने पर उलमा ने कड़ा एतराज जताया है। उलमा का कहना है कि ऐसी रस्में मुस्लिमों के लिए ‘हराम’ है।
बता दें कि इस समारोह का आयोजन बिलासपुर में मास्टर रतन लाल द्वारा किया गया था। रतन लाल, रशीद मसूद को अपना भाई मानते थे और उनका मसूद परिवार से अच्छे संबंध थे। नौ बार सांसद रहे काजी रशीद मसूद का हाल ही में कोरोना से निधन हो गया था।
बिलासपुर गाँव में हिदू समाज ने उनकी रस्म पगड़ी का आयोजन किया। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार मंत्रोच्चार के बीच उनके पुत्र शाजान मसूद को पगड़ी पहनाई गई। इस दौरान काजी रशीद मसूद के भतीजे और पूर्व विधायक इमरान मसूद व कई कॉन्ग्रेस नेता भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
मदरसा जामिया शेख-उल-हिंद के मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस्लाम में किसी दूसरे धर्म की परंपराओं को अपनाए जाने की सख्त मनाही है। असद कासमी ने कहा कि किसी दूसरे मजहब की रस्म तेरहवीं में मंत्रोच्चारण के बीच पगड़ी पहनाए जाना इस्लाम मजहब के खिलाफ है। इसके साथ ही उन्होंने मसूद के बेटे को हिंदू समारोह में भाग लेने के लिए अल्लाह से तौबा करने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के रस्म तेरहवीं के कार्यक्रम में मंत्रोच्चारण के बीच काजी रशीद मसूद के बेटे को पगड़ी पहनाया जाना इस्लाम के खिलाफ है। इसके लिए उन्हें अल्लाह से तौबा कर सच्चे दिल से माफी माँगनी चाहिए। मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि घर के किसी बड़े को चुनना या पगड़ी बाँधना बुरी बात नहीं है, लेकिन यह इस्लामिक रीति-रिवाजों से होना चाहिए।
उलेमा की टिप्पणी पर पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद के भतीजे इमरान मसूद ने कहा कि हम कलमे के मानने वाले हैं। उन्हें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। क्योंकि वो और हमारा अल्लाह ही बेहतर जानने वाले हैं। समारोह का हिस्सा रहे शाज़ान मसूद ने कहा कि ‘पगड़ी’ की रस्म पीढ़ियों से उनके परिवार का हिस्सा रही है।