बिहार में RRB-NTPC को लेकर चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच पूर्णिया की अमौर विधानसभा सीट से आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अख्तरुल इमान (Akhtarul iman) ने इस मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की है। इमान ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि रेलवे भर्ती के नाम पर हिंदुत्व के एजेंटों की बहाली की जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, AIMIM नेता का कहना है कि ये सब योजनाबद्ध साजिश के तहत किया जा रहा है और खास विचारधारा वाले लोगों को ही केंद्र सरकार नौकरी दे रही है। पूरे देश को फासीवादी लोगों के हाथों में देने की कोशिशें की जा रही हैं। छात्रों के आंदोलन को राजनीतिक रंग देते हुए अख्तरुल इमान ने कहा कि उनका ये आंदोलन केंद्र की इसी साजिश के खिलाफ था।
AIMIM नेता का आरोप है कि केंद्र ने करोड़ों और बिहार ने लाखों लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन नौकरी नही दी गई। जीएसटी और नोटबंदी के नाम पर देश के तमाम उद्योग धंधों को बंद करा दिया गया। अख्तरुल इमान ने इन्हीं आरोपों के साथ आंदोलन का समर्थन करने का ऐलान किया है।
हालाँकि, अख्तरुल इमान के सियासी बयान पर पलटवार करते हुए पूर्णिया के सदर से BJP विधायक विजय कुमार खेमका ने कहा कि अख्तरुल इमान जैसे लोग अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए ऐसा कर रहे हैं। रेलवे में धार्मिक भेदभाव नहीं किया जा रहा है। ऐसे धार्मिक उन्माद फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए।
वंदे मातरम गाने से इनकार कर चुके हैं अख्तरुल इमान
कट्टरपंथी मानसिकता वाले अख्तरुल इमान का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले पिछले महीने दिसंबर 2021 में बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के समापन वाले दिन असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी नेताओं ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ गाने से मना कर दिया था। AIMIM के विधायक अख्तरुल इमान ने राष्ट्रगीत गाने का विरोध करते हुए कहा था कि आखिर सदन में राष्ट्रगीत (National Song) क्यों गाया जा रहा है। उनके मुताबिक इस परंपरा को बिहार विधानसभा पर थोपा जा रहा है। अख्तरुल ईमान ने कहा था, “राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ गाने की परंपरा बिहार विधानसभा में थोपी जा रही है। किसी की मजाल नहीं कि मुझे गाने को मजबूर करे। ‘वंदे मातरम’ गाने में मुझे समस्या है… मैं वंदे मातरम न गाता हूँ और न ही गाऊँगा।”