Sunday, November 17, 2024
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‘अच्छे दिन’ की आस में कॉन्ग्रेस में गए कन्हैया कुमार और पप्पू यादव, लालू यादव ने जमीन ही कर दी साफ: बेगूसराय लेफ्ट को, पूर्णिया-सुपौल-मधेपुरा सब RJD का

पप्पू यादव के लिए न पूर्णिया छोड़ा गया, न सुपौल और मधेपुरा। जिस बेगूसराय से कन्हैया कुमार ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था वो वामपंथियों के हिस्से चली गई है।

बिहार में महागठबंधन का सीट बँटवारा फाइनल हो गया है। राजद 26 सीटों पर लड़ेगी, वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी को 9 सीटें मिली हैं। बाकी की सीटें वामपंथियों के हिस्से गई हैं। इसमें सबसे अधिक CPI(ML) को 2 सीटें, CPI-CPM को एक-एक सीट दी गई है। इसमें सबसे अधिक नुकसान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को हुआ है। पप्पू यादव जिस पूर्णिया से ताल ठोक रहे थे वो राजद के हिस्से चली गई है। वहीं जिस बेगूसराय से कन्हैया कुमार ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था वो वामपंथियों के हिस्से चली गई है।

बता दें कि जहाँ कन्हैया कुमार लेफ्ट छोड़ कर कॉन्ग्रेस में आ चुके हैं, वहीं पप्पू यादव ने तो हाल ही में अपनी ‘जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक)’ का कॉन्ग्रेस में विलय कर दिया था। राजद के हिस्से ये सीटें गई हैं – गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, बक्सर, पाटलिपुत्र, मुंगेर, जमुई, बाँका, वाल्मीकिनगर, पूर्वी चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, उजियारपुर, दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, हाजीपुर।

पप्पू यादव के लिए मुश्किलें इसीलिए खड़ी हो गई हैं क्योंकि जिस पूर्णिया से वो 1991, 1996 और 2004 में सांसद बने थे, और जहाँ से वो इस बार लड़ने की पूरी तैयारी में हैं – वो सीट राजद के हिस्से चली गई है। कोसी बेल्ट की एक अन्य सीट मधेपुरा जहाँ से पप्पू यादव 2004 और 2014 में सांसद रह चुके हैं, वो भी राजद ने कॉन्ग्रेस को नहीं दी। अब कोसी बेल्ट की ही तीसरी सीट पर आते हैं – सुपौल (पूर्व में सहरसा)। यहाँ से 2004 में पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन 2004 और 2014 में सांसद बनी थीं। ये सीट भी राजद ने झटक ली है।

यानी, पप्पू यादव के लिए न पूर्णिया छोड़ा गया, न सुपौल और मधेपुरा। कॉन्ग्रेस को जो सीटें दी गई हैं, वो हैं – किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पश्चिम चम्पारण, पटना साहिब, सासाराम और महराजगंज। CPI(ML) आरा, काराकाट और नालंदा से लड़ेगी। वहीं बेगूसराय से CPI और खगड़िया से CPM ताल ठोकेगी। ऐसे में कन्हैया कुमार के लिए संकट खड़ा हो गया है, जिन्होंने 2019 में बेगुसराई से CPI के टिकट पर लड़ते हुए 2.70 लाख वोट्स (22%) बटोरे थे।

JNU छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार को राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में भी खासा सक्रिय देखा गया। कॉन्ग्रेस आलाकमान के नेताओं के साथ उन्हें अक्सर देखा जाता है। इसके बावजूद बेगूसराय सीट से उनके कॉन्ग्रेस के टिकट पर लड़ने की संभावनाएँ खत्म हो गई हैं। कन्हैया कुमार JNU में भी लेफ्ट की ही राजनीति करते थे। कन्हैया कुमार ने सितंबर 2021 में कॉन्ग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। बिहार में NDA पहले ही अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा 17, जदयू 16, चिराग पासवान की LJP (रामविलास) 5 उपेंद्र कुशवाहा की RLJP 1 और जीतन राम माँझी की HAM 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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