तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया के मच्छर की तरह खत्म करने की अपील की थी। इसके बाद से सनातन धर्म के खिलाफ बयान देने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब शरद पवार की पार्टी के नेता और उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री रहे जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि सनातन धर्म को खत्म हो जाना चाहिए। उन्होंने पूछा है कि सनातन धर्म अचानक से कहाँ से पैदा हुआ है?
एनसीपी (शरद पवार गुट) नेता जितेंद्र आव्हाड ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, “सनातन धर्म खत्म होना ही चाहिए। यह तो बाबा साहब आंबेडकर की माँग थी। इसलिए ही तो उन्होंने मनुस्मृति जलाई। इतने दिन कहाँ था सनातन धर्म। हमारे प्रधानमंत्रियों के पिछले कई सालों के भाषण निकालिए, वह तो हिंदू धर्म की ही बात करते थे। अचानक से सनातन धर्म का कहाँ से जन्म हो गया?”
उन्होंने आगे कहा है, “सनातन धर्म के लोग सिर्फ और सिर्फ धर्म की ही राजनीति करते हैं। अपने धर्म में ही दो शाखाएँ तैयार कर दीं। हम तो मोहन भागवत जी का समर्थन करते हैं। इस मामले में आरएसएस का समर्थन कर रहा हूँ मैं। वह कहते हैं कि यहाँ पर कुछ लोगों ने कुछ लोगों को पिछड़ा रखा। अब उन पिछड़े लोगों को आगे लाने के लिए हमें हिम्मत दिखानी चाहिए। इसके लिए हमें काम करना चाहिए। इन लोगों को पीछे रखने वाले लोग सनातनी थे।”
महाराष्ट्र के स्थानीय मीडिया पोर्टल ‘लय भारी’ के अनुसार, जितेंद्र आव्हाड ने यह भी कहा, “सनातन धर्म का समर्थन करने वाले लोगों के कुछ सवाल हैं, उन्हें इनका जवाब देना चाहिए। चार्वाक को किसने मारा? छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को किसने अस्वीकार कर दिया? हत्यारों को महात्मा ज्योतिराव फुले के पास किसने भेजा?”
आव्हाड ने आगे कहा, “सती प्रथा के खिलाफ लड़ने वाले राजा राममोहन राय के खिलाफ तलवार उठाने वाला कौन था? राजर्षि शाहू महाराज को बदनाम करने और उनकी हत्या करने वाले षड्यंत्रकारी कौन थे? वे कौन थे जिन्होंने एक विशेष जाति समूह को पानी पीने से रोका? इन सभी चीजों के अपराधी सनातनी धर्म के अनुयायी थे। हम उनका विरोध जारी रखेंगे।”
बता दें कि इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया के मच्छर की तरह खत्म करने की अपील की थी। उदयनिधि ने कहा था, “मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”
उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा, “सनातन क्या है? सनातन नाम संस्कृत से आया है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन का यही अर्थ है।”
उदयनिधि के बयान का कॉन्ग्रेस ने भी समर्थन किया था। तमिलनाडु कॉन्ग्रेस की महासचिव लक्ष्मी रामचंद्रन ने सनातनियों को जातिवादी और नफरत फैलाने वाला बता दिया। उन्होंने कहा था कि हिंदुत्व और सनातन आदि उत्तर भारत की उपज है। दक्षिण भारत के लोग शांतिप्रिय हैं। लक्ष्मी रामचंद्रन ने कहा था, “नफरत फैलाने वाले सनातन जातिवादी हिंदुत्व का दूसरा नाम है, जिसकी उत्पत्ति उत्तर में हुई है। दक्षिण में हमारा हिंदू धर्म शांतिप्रिय है और समावेशी होने का प्रयास करता है। रामानुजार, वल्लालर और नारायण गुरु प्रकार का हिंदू धर्म ही हमारा हिंदू धर्म है।”