“तेरे को फ़ोटो लेना है, वीडियो बनाना है, जो मर्ज़ी आए करना हो कर।”
“हमें वीडियो से डराने की कोशिश मत कर।”
ये गुंडागर्दी और धमकी भरी भाषा और किसी की नहीं, आम आदमी के सबसे बड़े संगी-साथी बनने का ढोंग करने वाले वामपंथियों की है, जो एक बाप को अपने बीमार बेटे और डरी हुई पत्नी को अस्पताल पहुँचाने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहे थे। क्यों? क्योंकि इस बाप ने उस सड़क से गुज़र कर अस्पताल पहुँचने की कोशिश कर दी, जिसे इन वामपंथियों ने “फ़ासिस्ट कानून” के विरोध के लिए ‘खरीद’ लिया था।
On Tuesday, two members of SDPI blocked the car of a couple who were reportedly taking their ill child to a hospital. Around 40 organisations had called for a hartal to oppose the #CAA pic.twitter.com/9vzOfdU4L4
— Shiba Kurian (@shiba_kurian) December 17, 2019
लैबों को बंधक बनाना, प्रोफ़ेसरों के लाखों रुपए के प्रयोग मिट्टी कर देना, दिल्ली-अलीगढ़-लखनऊ में हिंसा, आगजनी, पत्थरबाज़ी, असम में असमीभाषी लोगों को बरगलाना, मुंबई में छुट्टियों में खाली हुई यूनिवर्सिटी में इकट्ठे होकर उसे पूरे विश्वविद्यालय का मत बताना- नागरिकता विधेयक के विरोध के इन्हीं ओछे हथकण्डों की फेहरिस्त में एक और है 4-5 साल के रोते बच्चे और उसकी रुआँसी माँ के आगे न पसीजना।
वामपंथ के अंतिम दुर्गों में से एक केरल में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) नामक इस संगठन के सदस्यों ने अरुण नामक पिता की कार को सड़क पर रोक लिया। अरुण ने जब उनके आगे हाथ जोड़े कि उनका छोटा-सा बेटा बीमार है और उसे अस्पताल ले जाया जाना ज़रूरी है, तो कुछ कार्यकर्ता तो पसीज गए लेकिन 5 ‘क्रांतिकारी’ फिर भी अड़े रहे।
जब अरुण ने अपना फ़ोन निकाल कर उनका वीडियो बनाना शुरू किया तो वे कथित तौर पर और भी आक्रामक हो गए। इस रिपोर्ट की शुरुआत में जो संवाद हैं, वो उन्हीं के कहे गए शब्दों का अनुवाद है। जब तक अपनी चल सकी, तब तक उन्होंने अरुण को नहीं ही जाने दिया। 15 मिनट बाद जब पुलिस आई, तभी पुलिस के डर से वे तितर-बितर हुए और अरुण निकल पाए।
केरल में लगभग 40 संगठनों के नागरिकता विधेयक संशोधन का विरोध करने की खबर सामने आई है। इनमें स्थानीय दलों के अलावा उत्तर प्रदेश में लगभग जड़ से उखाड़ी जा चुकी मायावती की पार्टी बसपा भी शामिल है।
NIA के रडार पर SDPI
जिस पार्टी SDPI के यह सदस्य बताए जा रहे हैं, उसे न केवल हिंसक, चरमपंथी, लगभग-आतंकवादी अति-वामपंथी विचारधारा का अनुगामी माना जाता है, बल्कि पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकने के लिए भी बदनाम है। 2016 में मुस्लिमों के हज़रत माने जाने वाले पैगम्बर मुहम्मद की आलोचना वाला एक फेसबुक कमेंट भर प्रकाशित होने पर इस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ‘मातृभूमि’ समाचारपत्र के दफ़्तर के बाहर जमकर बवाल काटा।
इसके अलावा कन्नूर जिले में पॉप्युलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) नामक एक और संदिग्ध संगठन के साथ SDPI के कार्यकर्ता हथियारों के जखीरे ऊपर बैठे हुए पकड़े गए थे। पुलिस को इनके पास से देसी बम, लोहे की कीलों का ढेर, तलवार आदि मिले थे। मामले में दोनों संगठनों के कुल मिलाकर 24 सदस्यों पर NIA ने प्राथमिकी दर्ज की थी, जिनमें मुख्य आरोपित थे पीवी अब्दुल अज़ीज़ और एवी फ़हद। इसके अलावा अज़हरुद्दीन उर्फ़ अज़हर, खमरुद्दीन और जलील फ़रार हो गए थे।